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संगीत की समृद्ध विधा का प्रदर्शन

राजधानी में आयोजित होने वाले संगीत कार्यक्रमों में ‘प्रवाह संगीत सम्मेलन’ का विशिष्ट स्थान है।...
संगीत की समृद्ध विधा का प्रदर्शन

राजधानी में आयोजित होने वाले संगीत कार्यक्रमों में ‘प्रवाह संगीत सम्मेलन’ का विशिष्ट स्थान है। प्रवाह म्यूजिक सोसायटी की संस्थापक मशहूर गायिका विदूषी उमा गर्ग ने शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विद्या से आम लोगों को अवगत करवाने और सम्मान पैदा करने के लिए संगीत कार्यक्रमों की विधिवत शुरुआत की। उन्होंने व्यवसायिकता से दूर ऐसे संगीत का माहौल बनाने की कोशिश की, ताकि कलाकार और श्रोतागण के बीच संगीतिक रिश्ता बने और अपने इस लक्ष्य को हासिल करने में वे काफी हद तक सफल भी रही हैं। पिछले एक दशक से हर साल प्रवाह म्यूजिक सोसायटी के वार्षिक संगीत समारोह का आयोजन होता है, जिसमें गायन-वादन के प्रखर और प्रतिभावान युवा कलाकारों को शामिल किया जाता है।

हर साल की तरह इस बार भी यह आयोजन लोदी रोड़ के कला मंच पर हुआ। मंगला चरण के रूप में कार्यक्रम का आरंभ मास्टर कबीर गुप्ता के बांसुरी के गूंजते स्वरों से हुआ। उन्होंने अलाप तालबद्धगत में विलंबित और द्रुत की बंदिशों कों राग जोग में प्रस्तुत किया। खमाज ठाठ और औडब स्वरों के इस राग को बरतने में मींड की ध्वनि बहुत मधुर थी। बांसुरी के स्वरों में राग के स्वरूप को निखारने और रागदारी को शुद्धता से पेश करने में अच्छी सूझ दिखाई। तबला पर सुकांत कृष्ण ने बराबर की संगत की।

पंडित सुरेश गंधर्व ने राग आभोगी प्रस्तुत किया। सुरेश जी प्रख्यात और अनूठे गायक उस्ताद अमीर खां की गायकी के अनुगामी हैं। उनके गाने में बड़ी सीमा तक उस्ताद की गायन शैली की छाप थी। गाने में सुरों को लगाने में स्वरों का लगाव मंद्र से लेकर तार सप्तक तक अच्छा संतुलन था। राग को गाने में खास बात थी स्वर म-ग-रे-स का प्रयोग खूबसूरत अंदाज में था। स्वर ध-ग की संगतियां और गांधार का आंदोलन बड़ा मधुर दिखा। राग के रूप को सहजता से दर्शाने और बढ़त करने में उनका कौशल खूब था। रागदारी में गमक, बहलावा, सरगम, और तानों की निकास में लय की गति देखने लायक थी। उनके गाने के साथ तबला पर अख्तर हसन और हारमोनियम वादन में जाकिर धौलपुरी में उम्दा संगत की। कार्यक्रम का समापन राजीव वर्मा के सितार वादन से हुआ। बजाने में मिजराब का काम स्वर दादिरदारा की निकास और लयात्मक गति में स्वरों का संचार करने में उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंनं राग श्री का अलाप जोड़ झाला में बराबर की लय पर पेश करते हुए विलंबित और द्रुत लय की गति में बंदिशों को बड़ी सरसता से पेश किया। राग पीलू की प्रस्तुती भी मनमोहक थी। उनके साथ तबला पर रशीद जफर खां ने मुकाबले की संगत की।

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