राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि उन्होंने 1978 में वसंतदादा पाटिल के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन एक दशक बाद उन्होंने (वसंतदादा पाटिल ने) ही मुख्यमंत्री पद के लिए मेरा नाम प्रस्तावित किया था।
विपक्षी दल में लंबे समय तक रहे पवार ने शनिवार को यहां एक कार्यक्रम में कहा कि उस समय कांग्रेस के पास इसी तरह का ‘‘उदार हृदय वाला नेतृत्व’’ था।
पवार ने 1999 में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की स्थापना की। जुलाई 2023 में शरद पवार के भतीजे अजित पवार के तत्कालीन शिवसेना-भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) गठबंधन सरकार में शामिल होने के बाद राकांपा विभाजित हो गई थी।
महाराष्ट्र के कई बार मुख्यमंत्री रहे पवार (84) ने कहा कि उन्हें याद है कि आपतकाल के बाद कांग्रेस, कांग्रेस (इंदिरा) और स्वर्ण सिंह कांग्रेस में विभाजित हो गई थी।
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उस समय वह अपने गुरु यशवंतराव चव्हाण के साथ स्वर्ण सिंह कांग्रेस में ही रहे, लेकिन बाद में हुए चुनाव में किसी भी पक्ष को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘आखिरकार, हम साथ आए और वसंतदादा को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, हममें से कई युवा कार्यकर्ताओं में कांग्रेस (आई) के प्रति नाराजगी थी, क्योंकि हम चव्हाण साहब के साथ जुड़े हुए थे। इसलिए एक दूरी थी। दादा ने इसे पाटने की कोशिश की, लेकिन हमने इसका विरोध किया था।’’
उन्होंने याद किया, ‘‘मैं प्रमुख विरोधियों में से एक था। परिणामस्वरूप, हमने सरकार गिराने का फैसला किया और हमने ऐसा किया। मैं मुख्यमंत्री बना।’’
पवार ने बताया, ‘‘मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं? क्योंकि 10 साल बाद हम सब फिर से एकजुट हो गए थे।’’
उन्होंने कहा कि जब अगले मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला लेने के लिए बैठक बुलाई गई, तो रामराव आदिक, शिवाजीराव निलंगेकर समेत कई नामों पर चर्चा हुई।
पवार ने कहा, ‘‘लेकिन दादा ने कहा, ‘अब और चर्चा नहीं... हमें पार्टी का पुनर्निर्माण करना है। शरद इसका नेतृत्व करेंगे’।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘कल्पना कीजिए कि जिस नेता की सरकार मैंने गिराई थी, उसने सब कुछ दरकिनार कर दिया और विचारधारा के लिए एकता को चुना। कांग्रेस में हमारे पास ऐसा ही उदार नेतृत्व था।’’