भरतनाटयम नृत्य शैली में प्रिया वेंकटरमण जाना-माना नाम है और उनका अपना विशिष्ठ स्थान है। प्रिया ने दक्षिण भारतीय भरतनाटयम की परंपरा की शुद्धता के साथ अपने कला चितंन, अनूठी सोच और कल्पनाशीलता से नृत्य संरचनाओं को नवाचार से समृद्ध करने में जो प्रयोग किए हैं, वे बहुत ही कारगर और सफल साबित हुए हैं। देश-विदेश के नृत्य कार्यक्रमों में उन्होंने खासी सराहना अर्जित की है। प्रिया वेंकटरमण एक गुरु के रूप में भी प्रतिष्ठित हैं। उनकी शिष्याओं की लंबी सूची है।
हाल में उनकी दस वर्षीय शिष्या नतानिया सैमुअल ने अपने जोशीले और रोमांचक नृत्य प्रदर्शन से दर्शकों को चकित और विस्मित कर दिया। भरतनाटयम नृत्य के हर पक्ष को शुद्धता से पेश करने में इस किशोरी का कौशल अचभिंत करने वाला था। कार्यक्रम का आयोजन गुरुग्राम के एपिक सेंटर के सभागार में हुआ था। उद्घाटन नादस्वरम पर मंगलावाद्यम से हुआ। अंरगेत्रम पर पहले नृत्य प्रवेश में ही नतानिया ने अपने अनुशासित नृत्य संचालन और थिरकते नृत्य से दर्शको को विस्मित में कर दिया। नृत्य का आरंभ परंपरागत मरगम में कौतुवम, राग कल्याणी में रचित जतिस्वरम दारुवरणम और पद्म से समापन किया।
मंदिरों में भगवान की शोभयात्रा में मल्लारी नृत्य की प्रस्तुति भक्ति भाव से होती है। उस किशोरी के नृत्य में सुंदरता से उभरी राग हंस ध्वनि में सरंचित भगवान शिव के अलौकिक रूप की झांकी थी। उसे नतानिया ने बड़ी सुगमता और चैनदारी से सरस अंदाज में पेश किया। शुध्द नृत्य जतिस्वरम भरतनाटयम का गणितबद्ध नृत्य है। सुर, लय, जति (ताल) के सामंजस्य के साथ सुंदरता से पेश किया। नृत्य में स्फूर्ति, मुद्राओं का संतुलन और विविध चलनों में नृत्य के आकार में गजब की तराश थी। वरणम भरतनाट्यम नृत्य का मुख्य हिस्सा है। उसे शुद्धता और सही लीक पर पेश करने से ही कलाकार की प्रतिभा की परख होती है। सुर लय ताल में निबद्ध कथा को दारुवरणम में शुद्धता और रोचकता से पेश किया। भाव प्रधान पद्म गीत पर नृत्य की प्रस्तुति सरस थी। आखिर में थिल्लाना की प्रस्तुति भी लय ताल में पूरी तरह बंधी हुई थी। इन सभी कार्यक्रमों की नृत्य संरचना गुरु प्रिया वेंकटरमण ने की थी। नृत्य को गरिमा प्रदान करने में गायन पर वेंकटस्वरम, मृदंगम पर मनोहर बालचंद्रन, घटमवादन में वरुण राजशेखरन, वायलिन पर राघवेंदर प्रसाद, वीणा पर करैकुडी श्यामला और नटुवांगम पर प्रिया वेंकटरमण उपस्थित थीं।