Advertisement

मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन पुरस्कार समारोह

मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रतिष्ठित भवभूति अलंकरण एवं वागीश्वरी पुरस्कार समारोह का गरिमामय आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के वीथि संकुल सभागार, भोपाल में विख्यात कवि, कथाकार फिल्मकार उदयप्रकाश की अध्यक्षता, वरिष्ठ साहित्यकार-शिक्षाविद प्रोफेसर रमेश दवे के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।
मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन पुरस्कार समारोह

वर्ष 2014 का भवभूति अलंकरण सुप्रसिद्ध कवि-आलोचक डॉ प्रेम शंकर रघुवंशी (हरदा) को और वर्ष 2015 का भवभूति अलंकरण प्रख्यात आलोचक डॉ विजय बहादुर सिंह (भोपाल) को दिया गया। इसके साथ ही वर्ष 2013 के लिए मणि मोहन, गंज बासौदा (कविता संग्रह-शायद) और इंदिरा दांगी, भोपाल (कथा संग्रह- एक सौ पचास प्रेमिकाएं) को तथा वर्ष 2014 के लिए अनवर सुहैल, अनूपपुर (कथा संग्रह- गहरी जड़ें), नीलोत्पल, उज्जैन (कविता संग्रह- पृथ्वी को हमने जड़ें दीं), रोहित रूसिया, छिंदवाड़ा (नवगीत संग्रह नदी की धार सी संवेदनाएं) और आनंद सिंह, भोपाल (आलोचना- सन्नाटे का छंद) के लिए वागीश्वरी पुरस्कार दिए गए। डॉ प्रेम शंकर रघुवंशी अस्वस्थ के अस्वस्थ होने के कारण समारोह में नहीं आ सके। उनके स्थान पर उनकी पत्नी श्रीमती विनीता रघुवंशी ने उनके लिए भवभूति अलंकरण ग्रहण किया। अपने वक्तव्य में डॉ रघुवंशी और डॉ विजय बहादुर सिंह तथा समस्त वागीश्वरी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रति आभार व्यक्त किया।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रो रमेश दवे ने सभी के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि नई पीढ़ी के रचनाकार नई भाषाएं नई अभिव्यक्ति और नए तेवर ले कर आते हैं जिनसे रचनात्मक नएपन की आश्वस्ति मिलती है। उन्होंने युवा रचनाकारों से कहा कि वे अपने आदर्श स्वयं बनें।

समारोह के अध्यक्ष और प्रसिद्ध कहानीकार उदय प्रकाश ने अपने वक्तव्य में सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं देते हुए रचनात्मक संदर्भों के साथ पानी के संकट और उससे जुड़ी संवेदनाओं की बात की। उन्होंने दोहराया कि भविष्य में कोयला या पेट्रोल के नाम पर नहीं बल्कि पानी के नाम पर विश्वयुद्ध होगा। भारत में जल स्रोतों के संरक्षण के प्रति उदासीनता पर उन्होंने गहरी चिंता जाहिर की। समारोह का संचालन वरिष्ठ कथाकार मुकेश वर्मा ने किया। 

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad