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विहान के मंच पर विभोर

सृजनात्मक सरोकारों की दिशा में काव्य प्रतिभाओं की नई आमद हुई है। इन्हीं नवोदित कवि प्रतिभाओं की कविता का पाठ हुआ। विभोर उपाध्याय ने कला समूह विहान के अंतर्गत स्थापित पोएटिक्स मंच पर युवा मन में अंकुराती उम्मीदों, स्मृतियों, सपनों और सामजिक संवेदनाओं से गहराती कविताओं का अनूठी वाचिक शैली में पाठ किया। तीसरा कोना, वक्त, बचपन, यादें, आखरी पन्ना शीर्षक से रचनाएं श्रोताओं तक पहुंची।
विहान के मंच पर विभोर

अपनी कविताओं की पृष्ठभूमि का चित्रण करते हुए विभोर ने कहा कि कविता मुझे मनचाही जगह उपलब्ध कराती है। जहां मैं साफगोई से अभिव्यक्त होता हूं। वह मेरा आत्मीय किनारा है, जो मुझे राहत देता है।

 

सुपरिचित कवि हेमंत देवलेकर ने कहा, विभोर की कविताओं में अपने आसपास की स्थितियां और हालात उभर कर आते हैं। कविता पाठ के बाद वरिष्ठ और युवा कवियों तथा कलाकारों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विभोर के रचनाकर्म को संभावनाओं से परिपूर्ण बताया। रंगकर्मी सौरभ अनंत ने आभार ज्ञापित किया। 

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