दिल्ली के साहित्य अकादमी समभागार में राजकमल चौधरी रचनावली का लोकार्पण प्रसिद्ध आलोचक-द्वय नामवर सिंह, मैनेजर पांडेय और विख्यात इतिहासकार तथा राजकमल चौधरी के अंतरंग मित्र डी.एन.झा ने किया।
इस मौके पर नामवर सिंह ने कहा, ‘राजकमल चौधरी की रचनाओं ने पीढ़ियों को प्रेरित किया और उनकी रचनावली का प्रकाशन हिंदी जगत और हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने में बहुमूल्य योगदान है। मैनेजर पांडेय ने राजकमल चौधरी के रचना संसार को रेखांकित किया और कहा कि राजकमल चौधरी विद्रोही और रूढिभंजक व्यक्ति थे। उनका यह विद्रोह उनके साहित्य में भी प्रकट होता है।
राजकमल चौधरी के रूप में कई बातें निकल कर आईं। उनके बारे में वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग ने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘राजकमल चौधरी ने मात्र 38 वर्ष की आयु में उपन्यास, कहानी और कविता में विपुल कृतियां रचीं और हर कृति अपने समय से आगे विशिष्ट और मौलिक थीं। वह पहले आदमी थे जिन्होंने हमारे अर्थतंत्र और परमिट राज में व्याप्त भ्रष्टाचार और उससे उत्पन्न नवधनाढ्य वर्ग के अनाचार के महत्व को पहचाना। स्वयं उन्होंने इन्हीं विषयों पर केंद्रित अनेक रचनाएं रचीं।
इस अवसर पर विशेष रूप से राजकमल चौधरी के घनिष्ठ मित्र और विख्यात इतिहासकार डी. एन. झा ने उनके साथ अपनी पुरानी यादों को साझा करते हुए कहा कि राजकमल चौधरी अंतर्विरोधों की पोटली थे। राजकमल चौधरी के बेटे नीलमाधव चौधरी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। नीलमाधव ने कहा, ‘जब भी मैं पिताजी के बारे में बोलना चाहता हूं बोल नहीं पाता हूं। पिताजी की रचनावली के लोकार्पण में मैं शामिल हो सकूंगा यह मैंने सोचा नहीं था।’
राजकमल चौधरी रचनावली के संपादक देवशंकर नवीन ने इस मौके पर कहा, ‘मेरे लिए यह क्षण बहुत खुशी का है। पिछले 37 वर्षों से जुटाई गई सामग्रियों को प्रकाशित हुआ देखकर अपार हर्ष हो रहा है।’
कार्यक्रम में गंगेश गुंजन, ललितेश मिश्र, अभिमन्यु खां, अन्विता अब्बी, सौमित्र मोहन, मंगलेश डबराल, मदन कश्यप, आलोक श्रीवास्तव, गीताश्री, प्रभात रंजन, संदीप चटर्जी, अल्पना मिश्र, देवेन्द्र राज अंकुर, सुरेश सलिल, रवीन्द्र त्रिपाठी, अनिल पांडेय, संजीव सिन्हा और कई लोग उपस्थित हुए।
राजकमल प्रकाशन समूह ने राजकमल चौधरी के प्रशंसकों के लिए ‘राजकमल चौधरी रचनावली’ पर 30 जून तक के लिए विशेष छूट की घोषणा की है।