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नारी चेतना का पाठ

साहित्य अकादमी में कविता और कहानी पाठ
नारी चेतना का पाठ

‘नारी चेतना’ कार्यक्रम के अंतर्गत आज साहित्‍य अकादेमी में ओडि़या कथाकार पारमिता शतपथी की कहानी और आकांक्षा पारे काशिव की कविताओं का लुत्फ श्रोताओं ने उठाया। आकांक्षा पारे काशिव ने अपनी कविताओं में नारी के अलग-अलग रूप प्रस्तुत किए। स्‍त्री की दिनचर्या के मनोभावों को प्रकट करती इन कविताओं के शीर्षक थे ‘शहर’, ‘अधिकार’, ‘कठिन है मृत्‍यु जीवन की तरह’, ‘बाजार’, ‘घर संभालती स्‍त्री’ और ‘औरत लेती है लोहा’।

पारमिता शतपथी ने अपनी कहानी ‘नारी कवि’ प्रस्‍तुत की। कहानी एक कवयित्री के जीवन पर केंद्रित थी। दोनों रचनाकारों की प्रस्‍तुतियों के बाद उपस्थित लेखकों ने उन पर संक्षिप्‍त टिप्‍पणियाँ प्रस्‍तुत कीं। प्रख्‍यात लेखिका चित्रा मुदगल ने  पारमिता की कहानी पर टिप्‍पणी करते हुए कहा कि यह कहानी स्‍त्री की छटपटाहट को बेहद सघन और संतुलित तरीके से प्रस्‍तुत करती है। प्रख्‍यात कवयित्री अनामिका ने उनकी कहानी को कवितामयी कहकर प्रशंसा की और आकांक्षा की कविताओं के बिम्‍बों की भी प्रशंसा की।

ओडि़या लेखिका यशोधरा मिश्र, रणजीत साहा, ज्‍योतिष जोशी ने भी दोनों की रचनाओं पर संक्षिप्‍त टिप्‍पणी प्रस्‍तुत की। कार्यक्रम में हिमांशु जोशी, जे.पी. दास, सुमन केशरी, प्रदीप सौरभ, प्रांजलधर, राजेन्‍द्र प्रसाद  मिश्र, आलोक श्रीवास्‍तव, परिचय दास, नारायण कुमार आदि कई प्रबुद्ध लेखक, पत्रकार उपस्थित थे।

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