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न्याय के लिए अदालत में लेखक

तमिल लेखक पेरूमल मुगरुगन ने हिंदुत्ववादी धमकियों का मुक़ाबला करने के लिए अदालत में गुहार लगाई है। कुछ समय पहले उन्होंने कट्टरपंथियों के दबाव में आकर अपनी लेखकीय मौत की घोषणा कर दी थी। इस घटना ने बड़ी संख्या संख्या में देश-विदेश के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा था।
न्याय के लिए अदालत में लेखक

मधोरूबागन के लेखक पेरूमल मुरूगन ने आज मद्रास उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर करके अदालत से आग्रह किया कि वह लेखक के अभिव्यक्ति के अधिकारों को कायम रखने के लिए आदेश दे। उनकी किताब को पिछले महीने बाजार से वापस ले लिया गया था क्योंकि इसे लेकर कई हिंदुत्ववादी संगठनों और जातीय समूहों को आपत्ति थी।

मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश एम. एम. सुंदरेश की प्रथम पीठ के समक्ष दायर किए गए हलफनामे में उन्होंने कहा, औरों को लेखक के तौर पर पेरूमलमुरूगन की मौत पर विश्वास हो या नहीं लेकिन मैं इसमें विश्वास रखता हूं। एक लेखक धमकी और डर के माहौल में काम नहीं कर सकता।

मुरूगन ने व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित न होने पर माफी मांगते हुए इस संबंध में अदालत से निर्णय देने का आग्रह किया ताकि लेखक के मौलिक अधिकार कायम रह सकें।

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