कहानी कहने की पुरानी कला दास्तानगोई को फिर से जीवन देने में जुटे युवा दास्तानगो अंकित चड्ढा की पुणे के पास एक झील में डूबने से मौत हो गई। अंकित देश के युवा दास्तानगो के रूप में लोकप्रिय थे।
पीटीआई के मुताबिक, वह पुणे में एक कार्यक्रम के सिलसिले में आए थे, जहां यह हादसा हुआ। 30 साल के अंकित दिल्ली के प्रसिद्ध लेखक और स्टोरीटेलर थे। दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
घटना बुधवार शाम करीब साढ़े पांच बजे की है। पुणे से 62 किलोमीटर दूर कामशेट के पास उकसान झील घूमने के दौरान उनका पैर फिसल गया और डूबने से उनकी मौत हो गई। वह एक दोस्त के साथ घूमने के लिए झील आए हुए थे।
सांस लेने में दिक्कत होने से हुई मौत
उन्हें खडकला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। कामशेत पुलिस थाने के अधिकारी वीएम साकपाल ने बताया, 'पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर अंकित की मौत सांस न ले पाने की वजह से हुई थी। जहां वह डूबे वह जगह 20 फीट गहरी है।'
कला जगत में प्रतिक्रयाएं
अंकित की मौत पर कला जगत के लोग स्तब्ध हैं। गीतकार वरुण ग्रोवर ने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति थे, जो अपनी कला से न भुला सकने वाला अनुभव कराते थे। किस्सागो नीलेश मिश्रा ने उन्हें एक अच्छे इंसान के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि काश मैं उनके जैसा दास्तानगो बन पाता। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा, 'अंकित तुम झील के पास क्यों गए?'
लेखक और डायरेक्टर महमूद फारुकी ने इसे एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा, 'वह खूबसूरत व्यक्ति था और इसका असर उसके काम में झलकता था। वह एक स्टार था, जो दास्तानगोई में अपना अलग रास्ता बना रहा था। वह बहुत अच्छे प्रयोग कर रहा था। जिस तरह का कनेक्ट वह ऑडियंस के साथ करता था, वह कोई खुले दिल वाला व्यक्ति ही कर सकता है। आपको प्रतिभाशाली लोग बहुत से मिल जाएंगे लेकिन खुले दिल वाले प्रतिभाशाली लोग मिलने मुश्किल हैं। मुझे खुशी है कि मैं उसे प्लेटफॉर्म दे सका। आर्टिस्ट के तौर पर मैंने उसका विकास देखा है और वह अभी भी आगे ही बढ़ रहा था।' फारुकी अंकित के परिवार वालों से भी मिले और अपना शोक व्यक्त किया।
देश-विदेश में परफॉर्म कर चुके थे अंकित
अंकित पिछले कई सालों से दास्तानगोई कर रहे थे। वह जश्न-ए-रेख्ता, कबीर उत्सव जैसे महत्वपूर्ण मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ साथ देश विदेश में भी प्रस्तुति दे चुके थे। उन्होंने म्यूजिक और कहानी को एक सार पिरोकर म्यूजिकल दास्तान की रचना की थी। उन्होंने अवॉर्ड विनिंग किताबें- अमीर खुसरो- द मैन इन रिडल्स और माय गांधी स्टोरी लिखी थीं।
अंकित ने अपना पहला शो 2011 में किया था और 2012-13 तक वह अपने सोलो शो करने लगे थे। दास्तानगोई के अलावा वह कई एनजीओ से जुड़े हुए थे, जहां वह भूख, टेक्नोलॉजी से जुड़ी कहानियां बताते थे। उन्होंने हार्वर्ड, येल जैसी यूनिवर्सिटी में दास्तानगोई के बारे में स्पीच भी दी थी।