Advertisement

नहीं रहे मशहूर साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह

प्रख्यात साहित्यकार और आलोचक डॉ. नामवर सिंह का मंगलवार रात 11.50 बजे 92 साल की उम्र में निधन हो गया। देर रात...
नहीं रहे मशहूर साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह

प्रख्यात साहित्यकार और आलोचक डॉ. नामवर सिंह का मंगलवार रात 11.50 बजे 92 साल की उम्र में निधन हो गया। देर रात दिल्ली के एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। नामवर सिंह पिछले एक महीने से एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती थे। ब्रेन हैमरेज की वजह से उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। वे एक महीने पहले अपने कमरे में गिर गए थे, तब उन्हें एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया था। लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर बुधवार दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर (चंदौली) वाराणसी में हुआ था। उन्होंने ज्यादातर आलोचना, साक्षात्कार इत्यादि विधाओं में साहित्य सृजन किया। खासकर आलोचना और साक्षात्कार विधा पर उनकी लेखनी ने भरपूर सुर्खियां बंटोरी। नामवर सिंह ने साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की। इसके बाद वे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे। उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें चर्चित हैं। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अलावा दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में लंबे समय तक अध्यापन कार्य किया था। जेएनयू से पहले उन्होंने सागर और जोधपुर यूनिवर्सिटी में कुछ समय तक पढ़ाया। वे ‘जनयुग’ और ‘आलोचना’ नाम की दो पत्रिकाओं के संपादक भी रहे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 

राजनीति में भी आजमाया था हाथ

साहित्य सृजन और अध्यापन के अलावा उन्होंने सियासत में भी हाथ आजमाया था। वर्ष 1959 में वे सक्रिय राजनीति में उतरे और उन्होंने इस साल चकिया-चंदौली सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर तले लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार की मुंह देखनी पड़ी।

प्रमुख कृतियां

नामवर सिंह की प्रमुख कृतियों में बकलम खुद, हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद जैसी आलोचना और कहना न होगा जैसे साक्षात्कार जैसी रचनाएं मुख्य हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad