बुकर पुरस्कार के निर्णायकों ने इस उपन्यास को स्तब्ध कर देने वाला और अप्रत्याशित रूप से मजेदार करार दिया। इस उपन्यास में एक अफ्रीकी अमेरिकी व्यक्ति की कहानी बयां की गई है। लंदन के गिल्डहॉल में कल रात आयोजित एक समारोह में 54 साल के पॉल बुकर पुरस्कार के तहत 50,000 पाउंड दिए गए।
पुरस्कार लेते हुए बीटी बहुत भावुक हो गए। उन्होंने कहा, यह मुश्किल किताब है। मेरे लिए इसे लिखना मुश्किल था, मैं जानता हूं कि इसे पढ़ना मुश्किल है। हर कोई इसे अलग नजरिए से देख रहा है। लेखक ने अमेरिकी राजनीतिक पृष्ठभूमि में जिस तीक्ष्ण समझ, बोध एवं हास्य विनोद का परिचय देते हुए यह पुस्तक लिखी है, उसे निर्णायकों ने खूब सराहा और उनके कार्य की तुलना मार्क ट्वेन तथा जोनाथन स्विफ्ट से की।
न्याय मंडल की अध्यक्ष अमांडा फोरमैन ने कहा कि चार घंटे के विचार विमर्श के बाद इस उपन्यास का चयन सर्वसम्मति से किया गया। उन्होंने कहा, व्यंग्य एक मुश्किल विधा है और अमूमन इसके साथ न्याय नहीं हो पाता लेकिन द सेलआउट उन अत्यंत दुर्लभ पुस्तकों में शुमार है जिनमें व्यंग्य का बेहतरीन प्रयोग किया गया है और यह पुस्तक समकालीन अमेरिकी समाज के दिल को छू जाती है। इसमें जिस तीक्ष्ण समझ का परिचय दिया गया है, वह मैंने स्विफ्ट या ट्वेन के बाद किसी में नहीं देखी।
अमांडा ने कहा कि यह पुस्तक समाज की हर पाबंदी का दम निकाल देती है। यह पुस्तक हमें हंसाने के साथ साथ चौंकाती भी है। यह हास्य से भरपूर होने के साथ साथ दर्द का भी एहसास कराती है और यह वास्तव में हमारे दौर का उपन्यास है। मौजूदा समय में न्यूयार्क में रह रहे बीटी ने इससे पहले स्लमबरलैंड, टफ और द व्हाइट बॉय शफल नामक तीन उपन्यास लिखे हैं।