वागर्थ, समकालीन भारतीय और ज्ञानोदय पत्रिकाओं के संपादक और आलोचक प्रभाकर श्रोत्रिय का जाना हिंदी साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। महाभारत के तौर पर उनका बहुत उम्दा काम है। मध्य प्रदेश के जावरा में जन्में श्रोत्रिय की पहचान आलोचक और नाटककार के रूप में लोकप्रिय हुए। वह मध्य प्रदेश साहित्य परिषद के सचिव रहे और साक्षात्कार और अक्षरा का संपादन भी किया। उनकी प्रमुख कृतियों में 'सुमनः मनुष्य और सृष्टा', 'प्रसाद का साहित्यः प्रेमतात्विक दृष्टि', 'कविता की तीसरी आख', 'संवाद', 'कालयात्री है।
प्रभाकर श्रोत्रिय नहीं रहे
हिंदी के प्रखर ओलाचक, लेखक और चिंतक प्रभाकर क्षोत्रिय का 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गुरुवार रात दिल्लीख के गंगाराम हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्काीर हरिद्वार में किया जाएगा।
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