वर्ष 2024 का भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्रिया वर्मा के पहले कविता संग्रह स्वप्न से बाहर पांव के लिए दिया जा रहा है। संग्रह बोधि प्रकाशन से प्रकाशित है। पुरस्कार के लिए इस वर्ष निर्णायक मदन सोनी थे। पुरस्कार देते हुए मदन सोनी ने कहा, ‘‘स्वप्न से बाहर पांवकी कविताएं, अत्यंत संश्लिष्ट मानवीय अनुभवों को सामने रखती है। विशेष तौर पर स्त्री-पुरुष संबंधों की सहज लेकिन अक्सर अलक्षित रह जाने वाली पेचीदगी को संग्रह की कविताएं बहुत ही संश्लिष्ट शिल्प में लिखी गई हैं।’’
वे आगे लिखते हैं, ‘‘ये कविताएं स्त्री संसार की अलग ही कल्पनाओं को रचती और उस यात्रा में सभी को सहभागी बनाती हैं। प्रिया वर्मा के स्त्री स्वर बहुत ही स्पष्ट हैं। इन स्वरों को गहरी करुणा, संवेदना और सह-अनुभूति का राग कह सकते हैं। वे संदर्भों की तात्कालिकता का अतिक्रमण कर अनुभव को उसकी सार्वकालिकता-सार्वभौमिकता की दीप्ति में पकड़ने का उद्यम करती हैं।’’
अपनी संस्तुति में मदन सोनी ने लिखा, ‘‘वे बार-बार ‘प्रेम’ पर, एकाग्र होती हैं और उसकी बहुत सूक्ष्म तहों और सलवटों को उकेरती हैं। वे कविताओं के माध्यम से मानवीय अस्तित्व के मूलगामी अभिप्राय के रूप में देखने का यत्न करती हैं। वे जूझती और उलझती हैं, जिरह करती हैं, लेकिन सिर्फ दुनिया से नहीं बल्कि खुद से भी। ‘स्वप्न से बाहर’ रखा गया उनका ‘पांव’ उस थरथराते सीमांत पर टिका हुआ है, जहां कल्पना और यथार्थ, अनुभूति और विचार, अंतर और बाह्य, ‘मैं’ और ‘तुम’ जैसे अनेक द्वैत परस्पर अतिव्याप्त और अन्तर्गुम्फित हैं।’
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में जन्मी प्रिया वर्मा अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं और पिछले 14 वर्ष से अध्यापन कर रही हैं। उनका संग्रह रज़ा फ़ाउण्डेशन से प्रकाशित है।