Advertisement

मर्यादा पुरुषोत्तम: रहस्य का उद्घाटन

मुझसे कई बार पूछा गया कि “राम कौन है?” यह प्रश्न आसान होते हुए भी इसका जवाब बहुत जटिल है क्योंकि इसके...
मर्यादा पुरुषोत्तम: रहस्य का उद्घाटन

मुझसे कई बार पूछा गया कि “राम कौन है?” यह प्रश्न आसान होते हुए भी इसका जवाब बहुत जटिल है क्योंकि इसके अनेक जवाब है। यह जवाब कई शताब्दियों से लेख, गीत, चित्र, नृत्य जैसे सभी धार्मिक और सेकुलर मध्यम से जाहिर हो रहे हैं। राम ने हमारी चेतना को इस तरह से छुआ है कि हम किसी भी उपलब्ध माध्यम में उनकी कहानी कह सकते हैं। राम इन कलात्मक कृतियों में भिन्न नजर आते हैं। यह कहना अधिक ठीक होगा कि अलग अलग लोगों के लिए राम के मायने अलग हैं।

करोड़ों लोगों के लिए राम रामायण के नायक हैं, भगवान विष्णु का अवतार हैं, जिन्होंने धर्म की स्थापना के लिए त्रेता युग में जन्म लिया। अयोध्या के राजकुमार के रुप में उन्होंने कई ककष्ट भोगे लेकिन हमेशा धर्म और मर्यादा के रास्ते पर अडिग रहे। धार्मिक हिंदुओं के लिए राम ऐसा चरित्र हैं, जो सत्य और विश्व कल्याण के लिए अपनी खुशियां कुर्बान करते हैं। वह अपना राज सिंहासन छोड़ देते हैं, असुरों का संहार करते हैं, प्रज्ञा के विश्वास की खातिर पत्नी का त्याग करते हैं।

मगर भारत और विश्व  में करोड़ों गैर हिंदू लोगों के लिए राम ईश्वर नहीं हैं। उन्होंने भी रामायण पढ़ी है और वह राम के संघर्ष, दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति के कायल हैं। वह राम की पीड़ा, वेदना के साथ सहानुभूति रखते हैं। यह लोग मानते हैं कि राम परिणाम की परवाह न करते हुए, सदा मर्यादित आचरण अपनाते हैं। यह लोग चाहे नैतिक मूल्यों पर राम से मतभेद रखते हों मगर राम की कहानी के आधार पर वह अपना आत्म मूल्यांकन करते हैं। इस तरह राम आत्म मूल्यांकन का उत्कृष्ट उदाहरण बनते हैं, जिन्हें देखकर व्यक्ति अपनी नैतिकता, सांस्कृतिक मूल्यों का विश्लेषण करता है।

.कई लोगों के लिए राम कथा पितृसत्ता को पोषित करने वाली कहानी है, जहां शौर्य और पुरुषार्थ सबसे अहम मूल्य रखते हैं। दूसरी ओर लोग रामायण को क्षत्रिय धर्म की कहानी की तरह देखते हैं, जहां युद्ध लड़े जाते हैं और जीते जाते हैं। यदि रामायण को पितृसत्ता की कहानी या जातिवादी मानसिकता से पढ़ा जाता है तो राम की छवि स्वीकार्य नहीं होती। एक स्त्री, गैर हिंदू खुद को राम की दुनिया से दूर पाता है।राम का मर्यादा पुरुषोत्तम किरदार छूटता सा दिखाई देता है। इस तरह की बातों और विमर्शों से राम की एक अलग छवि सामने आती है। इस तरह की कहानियां, जो हिंदुत्ववादी विचारधारा के भीतर या बाहर से आती हैं, वह राम और रामायण को एक सूत्र, एक रंग, एक नजरिए से मुक्त करते हुए विस्तार देती हैं। राम की कहानी हिंदू, बुद्ध, जैन, मुस्लिम, औरत, दलित, द्रविड़, आदिवासी वर्ग द्वारा कही गई है। यह कहानी हर मौजूद तकनीक, माध्यम और भाषा में कही गई है।
हर कहानी में राम समय, जगह और कथावाचक की सोच को प्रदर्शित करते हैं। बौद्धों की कहानी में राम बोधिसत्व हैं, जो जनकल्याण के लिए अपना मोक्ष स्थगित करते हैं। जैन मत के अनुसार राम अहिंसा के प्रतीक हैं इसलिए उनके अनुसार लक्ष्मण रावण के संहारक हैं। सनातन धर्म में ही राम को लेकर विभिन्न विचार, कहानियां मिलती हैं।

भावाभूति उत्तरारामचरित्र ने वाल्मीकि रामायण के दुखद अंत को बदल दिया और अपने कथ्य में राम और सीता का मिलन शामिल किया। तुलसीदास ने राम की दिव्यता का महिमामंडन करते हुए, उन्हें  सीता के साथ स्वर्ग में मिलते हुए दिखाया जबकि कंबन ने राम कथा का अंत रावण वध के बाद, अयोध्या में राम के भव्य स्वागत के साथ किया।

ऐसा प्रतीत होता है कि जिसने भी राम कथा सुनाने का प्रयास किया, उसकी कोशिश रही है कि वह कुछ नया रंग, नया तत्व कहानी में जोड़े, जिससे समाज की जरूरतें, उद्देश्य पूर्ण हों और समाज का हर वर्ग खुद को राम कथा में शामिल पाए। हम चाहते हैं कि राम कथा में हमारा जिक्र, हमारा योगदान, हमारा वर्णन हो। इससे राम के अस्तित्व के प्रश्नों का जवाब भी मिलता नजर आता है। राम वही हैं, जो हम उन्हें देखना चाहते हैं। राम हमारी चेतना का वह स्वरूप हैं, जिन्हें हम सुविधा अनुसार कभी स्वीकारते है तो कभी नकारते हैं मगर वह हमारे अस्तित्व का अंग हैं।

(लेखिका शिक्षिका और पौराणिक कथाओं की अध्येता हैं)

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad