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उपहार सिनेमा कांड: हादसे के बाद न्याय के लिए जारी लड़ाई पर किताब

दिल्ली के उपहार सिनेमा हादसे के 59 पीड़ितों में से दो के माता-पिता ने इस सदमे तथा न्याय के लिए अपनी लंबी लड़ाई पर एक किताब लिखी है। ट्रायल बाय फायर का प्रकाशन पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया ने किया है।
उपहार सिनेमा कांड: हादसे के बाद न्याय के लिए जारी लड़ाई पर किताब

नीलम और शेखर कृष्णमूर्ति ने 13 जून 1997 को हुए हादसे में अपने दो बच्चों 17 वर्षीय उन्नति और 13 वर्षीय उज्ज्वल को खो दिया था। दोनों ने अपने बच्चों को न्याय दिलवाने और हादसे के जिम्मेदार लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए लड़ने का फैसला लिया। उन्नीस साल पहले शुरू हुई उनकी लड़ाई आज तक जारी है। हादसे वाले दिन दक्षिण दिल्ली में स्थित उपहार सिनेमा में शाम चार बजकर 55 मिनट पर बालकनी वाले हिस्से में घना धुंआ भर गया था। तब इस सिनेमा हॉल में बॉर्डर फिल्म लगी हुई थी। वहां से निकलने की कोई व्यवस्था नहीं थी इसलिए बालकनी में बैठे लोग वहीं फंसकर रह गए। शाम सात बजे तक 57 लोगों की मौत हो चुकी थी जबकि भगदड़ में 103 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बाद में दो और लोगों की अस्पताल में मौत हो गई थी।

उपहार सिनेमा के मालिक और रियल एस्टेट कारोबारी सुशील और गोपाल अंसल अगस्त में जेल की सजा से बच गए थे। उच्चतम न्यायालय ने प्रत्येक को 30 करोड़ रुपये जुर्माना देने का निर्देश दिया था जबकि उनकी जेल की सजा की अवधि को जेल में तब तक गुजारे वक्त तक सीमित कर दिया था। शीर्ष अदालत ने सीबीआई और पीड़ित संगठन की गुजारिश को स्वीकार नहीं किया था। हादसे के ठीक बाद से सुशील ने पांच महीने की जेल की सजा काटी थी जबकि गोपाल चार महीने तक जेल में रहा था। उच्चतम न्यायालय ने 2014 में अंसल भाइयों को दोषी माना था लेकिन उन्हें मिली सजा की अवधि पर उनका मत भिन्न था। साल 2008 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोनों भाइयों को एक-एक साल की जेल की सजा दी थी।

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