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सीमा पर लगी बाड़ों के पार भी है संगीत में अकूत ताकत: सलमान अहमद

सूफी रॉक बैंड जुनून से 1990 के दशक में मशहूर हुए पाकिस्तानी गायक-गिटार वादक सलमान अहमद का कहना है कि सीमा पर लगी कांटेदार बाड़ों के पार भी संगीत में अकूत ताकत है और कोई बाधा इसे रोक नहीं सकती है। 90 दशक में पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु संलयन के बजाय सांस्कृतिक मेल-मिलाप की वकालत करने के लिए इस पाकिस्तानी गायक पर गद्दार का ठप्पा लगा था।
सीमा पर लगी बाड़ों के पार भी है संगीत में अकूत ताकत: सलमान अहमद

पाकिस्तानी रचनाओं को समर्पित इक्वेटर लाइन के ताजा अंक में छपे एक साक्षात्कार में गायक ने बताया, फरवरी में यूनेस्को के लिए दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एक भारतीय महिला अपनी किशोर बेटी के साथ हमारे पास आई और बताया कि 1990 के दशक में हमारा एक गाना सैयोनी सुनकर उसने अपनी बेटी का नाम सैयोनी रखा है। गायक ने कहा, कार्यक्रम खत्म होने के बाद जब मैंने जुनूनी किशोरी और उसकी मां से मुलाकात की तो सैयोनी ने बताया कि अभी वह मेरी तरह गिटार बजाना सीख रही है। सलमान ने कहा, पीढि़यों और कांटेदार बाड़ों के पार संगीत की यही तो ताकत है, जिसे कोई बाधा रोक नहीं सकती। उन्होंने बताया कि अगस्त में जुनून के 25 साल पूरे होने का जश्न मनाया जाएगा।

 

कंधे पर गिटार, मुट्ठी में माइक्रोफोन पकड़े और रॉकस्टार वाले अंदाज में बालों को पोनीटेल के रूप में बांधने वाले अहमद को बोनो ऑफ पाकिस्तान (पाकिस्तान का नेकदिल इंसान) कहा जाता है। संगीत के जरिये शांति और सौहार्द्र की उनकी निरंतर तलाश सैन्य शासन के लिए तथाकथित अवज्ञा बन गई है। सूफी रॉक बैंड के प्रशंसक इस बैंड के सदस्यों को जुनूनी के तौर पर जानते हैं और लगातार बैंड के गीतों से प्रेरणा लेते रहते हैं।

 

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