राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के इतिहास में पहली बार "थिएटर थेरेपी "का प्रयोग करते हुए दिव्यांग बच्चों का नाटक कल खेला जाएगा।इसके अलावा एनएसडी "रेड लाइट" इलाकों की महिलाओं को भी रंगमंच से जोड़ेगा।
एनएसडी के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी और "थिएटर इन एजुकेशन" के प्रमुख रीकेन गोमले ने आज यहां पत्रकारों को जानकारी दी। श्री त्रिपाठी ने बताया कि एनएसडीपहली बार एक नया प्रयोग करने जा रहा है और दिव्यांग बच्चों को भी रंगमंच से जोड़ने जा रहा है .यह एक तरह से "थिएटर थेरेपी" भी है।अब तक ऐसा प्रयोग नहीं किया गया था।इसके तहत बच्चों ऑटिसज्म ,सेरेब्रल पाल्सी और अन्य तरह के दिव्यांग बच्चों को रंगमंच करने का अवसर दे रहा ताकि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके और उनके व्यक्तित्व का समग्र विकास हो सके एवम उन्हें जीवन की खुशियां मिल सके।
उन्होंने बताया कि समाज के वंचित समुदाय के बच्चों अनाथ एवम फुटपाथी बच्चों को रंगमंच से जोड़ने का प्रयास हम कर चुके एवम डेढ़ माह में हम 50 से अधिक कार्यशालाएं हम कर चुके।हम थिएटर को दूर दूर तक पहुंचाने के लिए अगले वर्ष हम देश भर में सौ से अधिक कार्यशाला करेंगे ।
उन्होंने बताया कि गाज़ियाबाद के उमराव सिंह स्मारक शिक्षा सोसाइटी के विशेष बच्चों के"कोशिश" स्कूल के साथ मिलकर कल हम सम्मुख मे शाम 6 बजे "अपने सपने "नामक नाटक करेंगे।इसका निर्देशन रिली गोमले ने किया है।इन 18 बच्चोंमें 13 लड़के और 5 लड़कियां हैं।
उन्होंने कहा कि ये "विशेष "बच्चे भी अपने जीवन में डॉक्टर इंजीनियर पायलट बनना चाहते हैं। रंगमंच के जरिये हम उनके व्यक्तिव का सर्वांगीण विकास करना चाहते हैं क्योंकि रंगमंच से बच्चों में एक आत्मविश्वास आता है और उनकी रचनात्मकता खुलती है।
उन्होंने कहा कि हम समाज के रेड लाइट इलाके की महिलाओं से भी जोड़ना का प्रयास कर रहे और अगले साल उनक़ा भी कोई न कोई नाटक मंचित करेंगे।इसके लिए दिल्ली मुम्बई और कोलकत्ता के रेड लाइट इलाके का हम दौरा करेंगे और हमारी टीम यह काम करेगी।
उन्होंने बताया कि दिल्ली पर्यटन निगम लिमिटेड की मदद से हमनेकल ही " रंग अम्लान " शुरू किया है जो दो जुलाई तक चलेगा।इसमें हम 5 नाटक खेलेंगे और अंतिम दिन बच्चों की ओर से कार्यशाला में सीखी गयी बातों को रंगमंच के जरिये प्रस्तुत किया जाएगा।