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फिलाडेल्फियां पार्क की दीवार पर एक भारतीय कवि

बनारस शहर का अपना मिजाज है। भोले की भांग है तो गंगा की निर्मलता भी। इस शहर के मिजाज में ही है, संस्कृति। इस शहर के लिए व्योमेश शुक्ल बहुत जाना पहचाना नाम है। रंगकर्मी, कवि, लेखक व्योमेश की टोपी में एक और पंख लगने जा रहा है। उनकी कविताएं अमेरिका के फिलाडेल्फिया के एक पार्क में बन रही दीवार पर अंकित होंगी।
फिलाडेल्फियां पार्क की दीवार पर एक भारतीय कवि

फिलाडेल्फिया के आर्ट-कल्चर एंड क्रिएटिव इकॉनामी विभाग ने नामचीन कला प्रशासक और पेंसलवेनिया के प्राध्यापक ब्रेंट वॉल और वरिष्ठ कवि लेनी ब्राउनी के सहयोग से हर भाषा की कविताओं का एक संकलन तैयार किया है जिनमें से कुछ चुनिंदा रचनाएं पार्क की दीवार पर खोदी जाएंगी। ख्याति प्राप्त कविताओं को यह सम्मान मिल रहा है जिसमें से व्योमेश शुक्ल की कविता, मैं जो लिखना चाहता था कविता को चयनित किया गया है।  

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