वह चीखता है
पागलों की तरह
कहकहे भी लगाता है
ज्यादा वक्त
सिग्नल की तेज लाल रोशनी को
एकटक निहारते हुए बिताता है
थोड़ी दूरी पर बैठा हुआ एक मरियल सा कुत्ता
उसकी ओर देखते हुए पहले केंकियाता है
फिर धीरे-धीरे दुम हिलाता है
प्लेटफार्म नंबर सात का
अंधेरे में डूबा यह सिरा
उदास-गमगीन लोगों के लिए
एक ऐसा जरूरी कंधा है
जहां सिर रखकर
जी भर रोया जा सकता है
दूर लैंपपोस्ट के नीचे बैठा
अंधा भिखारी
बांसुरी बजा रहा है
हौले-हौले
एक पुरी दुनिया
लय से बाहर हो रही है...।