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शहरनामा/रानीखेत: पर्वत का अद्भुत नजारा दिखाने वाला शहर

“पर्वत का अद्भुत नजारा दिखाने वाला शहर” मुस्कुराता शहर सूर्योदय में सूर्य किरणों का पर्वतों पर...
शहरनामा/रानीखेत: पर्वत का अद्भुत नजारा दिखाने वाला शहर

“पर्वत का अद्भुत नजारा दिखाने वाला शहर”

मुस्कुराता शहर

सूर्योदय में सूर्य किरणों का पर्वतों पर पड़ने वाला अद्भुत नजारा, सर्दियों की गुनगुनी धूप, आते-जाते बादल, ताप तथा सिहरन के खट्टे-मीठे एहसास, सफेद चांदी-सा बर्फीला हिमालय। यह है रानीखेत, जो उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की तहसील है। शांत शहर में सैलानियों की उन्मुक्त हंसी कई बार शहर की निस्तब्धता को भंग करती है, तो लगता है जैसे शांत तालाब में पक्षियों के झुंड पानी पीने, अठखेलियां करने और नहाने उतर रहे हों। प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग रानीखेत हर मौसम में बेहद खूबसूरत नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटन स्थल है। रानीखेत स्थानीय लोक कथा से लिया गया नाम है। कहा जाता है कि कत्यूरी राजा सुधारदेव ने अपनी रानी का दिल जीत लिया था। इस क्षेत्र को रानी ने अपने निवास के लिए चुना। खूबसूरत कत्यूरी रानी पद्मिनी को रानीखेत के प्राकृतिक सौंदर्य ने इतना अभिभूत किया कि उन्होंने राजा सुधारदेव को यहां महल बनाने के लिए कहा और इस स्थान को रानीखेत कहा जाने लगा। हालांकि, उनके महल के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं।

हिम दर्शन का आनंद 

रानीखेत का मौसम सर्दियों में बेहद ठंडा और गर्मियों में मध्यम रहता है। यहां दिसंबर से फरवरी माह तक बर्फ गिरती है, बाकी समय मौसम बेहद खुशगवार रहता है। शहर से सामने देखते हुए हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियां स्पष्ट देखी जा सकती हैं। हिम दर्शन के साथ ही मां दुनागिरी शक्तिपीठ की पहाड़ी, पांडवखोली, भरत कोट की पहाड़ी, नंदा देवी, नीलकंठ, नंदघुनती और त्रिशूल चोटियां दिखाई देती हैं। रानीखेत में देखने लायक कई जगहें हैं जैसे, सेंट बिज्रेट चर्च, भालू बांध, कटारमल, बिन्सर महादेव मंदिर, झूलादेवी मंदिर, हैड़ाखान बाबाजी का मंदिर, गोल्फ कोर्स (एशिया के सर्वोच्च गोल्फ कोर्स में से एक), चौबटिया गार्डन, कौमी एकता की मिसाल कालू सैयद बाबा की मजार, आशियाना पार्क, मनकामेश्वर मंदिर, रानी झील वगैरह। यहां वन्यजीवों की कई प्रजातियां जैसे, हिमालयी काला भालू, कस्तूरी मृग, गोरल, तेंदुआ आदि देखने को मिलते हैं। पक्षियों में ग्रे बटेर, काला तीतर, व्हिस्लिंग थ्रश, चकोर, मोनाल, चीयर तीतर, मोनाल तीतर और कोक्लास तीतर पाए जाते हैं।

कुमाऊं रेजिमेंट के शौर्य का गवाह

1869 में अंग्रेज सरकार ने कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय की स्थापना की और तबसे इसे पर्यटकों के लिए पर्वतीय स्थल के रूप में जाना जाने लगा। रानीखेत को भारतीय सेना के सबसे सुशोभित पैदल सेना रेजिमेंटों में से एक के. रेजिमेंटल सेंटर होने का गौरव भी प्राप्त है। छावनी शहर, कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान का गौरव है। भारतीय सेना का कुमाऊं रेजिमेंट बेहद शानदार है। यहां संग्रहालय भी है, जो सेना के गौरवशाली इतिहास और ऐतिहासिक भव्यता को दर्शाता है। यह संग्रहालय 1970 के दशक में बनाया गया था ताकि कुमाऊं क्षेत्र की विरासत, रीति-रिवाजों को प्रदर्शित किया जा सके। संग्रहालय कुमाऊं रेजिमेंट से संबंधित कई युद्धों, सेना के बारे में जानने वाले उत्साही लोगों के लिए सशस्त्र बलों, बहादुर सैनिकों के पदक, वर्दी, युद्ध के दौरान विद्रोहियों के झंडे, प्रथम और द्वितीय युद्ध के परमवीर चक्र की कहानियों की जानकारी प्रदर्शित करता है, जो कुमाऊं रेजिमेंट से संबंधित है।

चूरकाणी भात, आलू की थिच्वाणी

रानीखेत के मुख्य बाजार हैं जरूरी बाजार, खड़ी बाजार और सदर बाजार। स्थानीय लोग पहाड़ी व्यंजनों को पसंद करते हैं जैसे, भट्ट के डुबके, चूरकाणी भात, आलू की थिच्वाणी, गहत, रैंस दाल, मण्डूवा चैंसू भात, भांग की चटनी आदि। रानीखेत में मिठाइयों में बाल मिठाई तथा सिंगोड़ी प्रमुख है॒। गर्मियों में रानीखेत के जंगलों में काफल बहुत होता है जो लाल, गहरे कथई रंग का और मीठे स्वाद वाला होता है। सुबह ग्रामीण टोकरियों में काफल, पूलम, खुबानी, नासपाती बेचने के लिए आते हैं।

चौबटिया गार्डन की खुबानी

चौबटिया में प्रदेश सरकार का फलों का बागान देखने लायक है। चौबटिया गार्डन सेब, प्लम, आड़ू और खुबानी के लिए प्रसिद्ध है। चौबटिया बाग का रास्ता घने जंगल तथा मॉल रोड से होकर जाता है। माल रोड आर्मी एरिया के तहत होने के कारण यहां बेवजह भीड़ नहीं रहती। इसलिए इस मार्ग पर पैदल चलना बेहद सुकून भरा होता है। यहां से चौबटिया वाले पूरे रास्ते में सड़क के दोनों ओर जंगल हैं। रानीखेत फिल्म निर्माताओं को भी पसंद आता है। यहां हुकूमत, भारत भाग्य विधाता, फोटो, हम किसी से कम नहीं, भाग्य, शिखर, बॉर्डर, पीड़ा, हनीमून जैसी फिल्मों की शूंटिग हो चुकी है।

सुकून की धीमी दस्तक

रजत सदृश हिमाच्छादित गगनचुंबी पर्वत, सुंदर घाटियां, चीड़ और देवदार के ऊंचे पेड़, घना जंगल, फलों और लताओं से ढके संकरे रास्ते, सुंदर वास्तुकला वाले प्राचीन मंदिर, ऊंची उड़ान भरते पक्षी और प्रदूषण मुक्त शहर का सौंदर्य आकर्षण का केंद्र है। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, कटारमल सूर्य मंदिर, चौबटिया, कालिका पहुंचा जा सकता है। रानीखेत से कौसानी करीब 59 किलोमीटर की दूरी पर है, यहां अनाशक्ति आश्रम है, जहां गांधी जी ने प्रवास किया था। प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत जी का घर भी है जिसे अब संग्रहालय और पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया गया है। इसे सुमित्रानंदन पंत वीथिका नाम से जाना जाता है। 

जिंदगी की दौड़-धूप में भागते इनसान को पहाड़ का यह छोटा-सा शहर धीमी दस्तक देकर बुलाता रहता है।

नीलम पांडेय

(हिंदी और कुमांऊनी की लेखिका और कवयित्री)

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