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‘9 नवंबर’ की नाट्य प्रस्तुति

संजय चौबे के उपन्यास 9 नवंबर पर चर्चा और इसी नाम से नाटक की प्रस्तुति साहित्य संस्कृति कला की पत्रिका कोलाज कला और ग्रीनअर्थ विलेज वेलफेयर सोसायटी के सहयोग एवं सौजन्य से आयोजित किया गया। इस आयोजन में यंग्स थियेटर भोपाल के कलाकारों ने नाट्य प्रस्तुति दी। उपन्यास 9 नवंबर सांप्रदायिक घटना पर आधारित है। इस उपन्यास में सांप्रदायिकता को समझने और समाधान के नए तरीके और विकल्प को प्रस्तुत किया जा रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य है कि साहित्यिक कृतियों को नाट्य और फिल्म प्रस्तुतियों की नई संभावनाएं तलाशना है।
‘9 नवंबर’ की नाट्य प्रस्तुति

इस अवसर पर वक्ताओं ने उपन्यास के विभिन्न पक्षों पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विजयबहादुर सिंह ने कहा कि यह उपन्यास इतिहास की कई बातों को छूता है। इससे हमें इतिहास देखने की आवश्यकता महसूस होती है।

 

मुख्य अतिथि आर के पालीवाल ने कहा कि यह आयोजन एक तरह का नया प्रयोग है और उपन्यास बहुत ही संवेदनशील तरीके से समस्या के विकल्पों पर सोचने के लिए मजबूर करता है।

 

 

विशिष्ट वक्ता स्वाति तिवारी ने कहा, ‘यह उपन्यास दो पीढ़ियों के विचारों में आए बदलाव की एक कहानी है। उपन्यास की भाषा और कथा प्रयोग भी अपने आप में संवेदनशील है। उपन्यास का युवा जो कई सालों बाद अपने घर लौटता है तो उसे सांप्रदायिकता की एक अदृष्य गहरी खाई मिलती है।’ 

 

 

हरे प्रकाश उपाध्याय, अरुणेश शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। चर्चा के बाद कार्यक्रम में युवा रचनाशीलता पर केंद्रित कोलाज कला रचनात्मक पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके बाद नौ नवंबर नाट्य प्रस्तुति हुई। इस प्रस्तुति ने एक उपन्यास की भाषा को दृष्यों की भाषा में बदल दिया। सरफराज हसन निर्देशित इस रंग संयोजन को भरपूर तरीके से सराहा। 

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