कामाख्या कलापीठ (सेंटर फॉर इंडियन क्लासिकल डांसर्स) के तत्वाधान में आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रस्तुत “कहानी नृत्य-वीरांगनाओं की" ने दर्शकों को अद्भुत आनंद से सराबोर कर दिया।
कामाख्या कलापीठ संचालिका पद्मविभूषण सांसद डॉ सोनल मानसिंह द्वारा परिकल्पित , निर्देशित व संचालित कार्यक्रम में दर्शकों को भारत की महान शास्त्रीय नृत्य की विभूतियों की कहानी देखने व सुनने का अवसर मिला। कार्यक्रम की शुरुआत तंजौर की मुत्थूपर्णी की कहानी से हुई जिसमें कुचीपुड़ी शास्त्रीय संगीतमय नृत्य से दर्शाया गया कि कैसे श्रीकृष्ण उनके नृत्य के प्रेरणा और सहभागी बने।
दूसरी कहानी केरला की तात्री की थी जिसमें दिखाया गया कि पितृसत्तात्मक समाज के बंधनों को तोड़ कर किस तरह संघर्ष कर के उन्होंने नृत्य साधना शुरू की और बाद में सभी धारणाओं को तोड़ते हुए अपना स्थान बनाया। मोहिनी अट्टम की प्रस्तुति को दर्शकों ने बहुत सराहा।
तीसरी कहानी थी मैडम मेनका की ,मैडम मेनका वास्तव में उपाधि थी उनका वास्तविक नाम लीलावती राय था, रशियन कलाकार अन्ना पाउलोआ के कहने पर उनके भारतीय नृत्य की शुरुआत की और फिर उन्होंने देश विदेश में अपने नृत्य से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अंतिम प्रस्तुति रुक्मणी देवी के नाम रही। तमिलनाडु की रुक्मिणी देवी ने बैले सीखा , अन्ना पाउलोआ ने उन्हें प्रेरणा दी की भारतीय शास्त्रीय नृत्य साधना में अद्वितीय संभावनाएं उनकी खोज करो। रुक्मिणी देवी ने तत्कालीन मंदिरों की देवदासियों को अपने नृत्य का विषय बनाया। रुक्मिणी देवी की कहानी व देवदासी विषय को भरतनाट्यम के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम की प्रस्तुतियों के बीच बीच में डॉ सोनल मानसिंह के निर्देशन व सूत्रधार की भूमिका ने सबको बांध रखा, इस कार्यक्रम के लिए कोरियोग्राफर रुप में उनका सहयोग वनश्री राव, नीना प्रसाद, वावस्ती मिश्रा, व पीटी नरेंद्रन द्वारा किया गया।
पूरे कार्यक्रम में युवा कलाकारों की भाव भंगिमा, नृत्य मुद्राओं, पार्श्व संगीत,वेव भूषा और रंग बिरंगी प्रकाश सज्जा ने कार्यक्रम के साक्षी बने कलाप्रेमियों को भाव विभोर होने पर बाध्य कर दिया।
कार्यक्रम में राज्य सभा के उपसभापति डॉ हरिवंश, केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल, ICCR के प्रेसीडेंट सांसद डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे व श्रीमति सहस्रबुद्धे, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की धर्मपत्नी श्रीमती मल्लिका नड्डा, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना वह उनकी पत्नी तथा पद्मभूषण श्रीमती सरोज वैद्यनाथन् संस्कृति तथा पर्यटन मंत्रालय उच्च अधिकारी रहे। वहीं, विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न देशों के राजदूत भी उपस्थित रहे।
श्री मति नड्डा ने कहा कि यह कार्यक्रम बड़ा ही जानकारी भरा था, हमारी संस्कृति का परफेक्ट मिश्रण था। देश में विभिन्न क्षेत्रों के परिवर्तन की गाथा हमने देखी, डॉ सोनल मानसिंह एक और वीरांगना हैं जिन्हें पांचवीं वीरांगना कहनी चाहिए।
डॉ हरिवंशजी ने कहा डॉ सोनल मानसिंह ने जिस तरह महान नृत्यांगनाओं की गाथा उनकी इच्छा शक्ति दिखाई उन्हें शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, जब हम डॉ सोनल मानसिंह की प्रस्तुति देखते हैं तो बाहर की दुनिया भूल जाते हैं। मस्तिष्क की दुनिया भूलकर भाव की दुनिया में खो जाते हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री एसपीएस बघेल ने कहा कि फिराक़ कहते थे कि आने वाली नस्लें फख्र करेंगी कि तुमने फिराक़ को देखा है हम कहते हैं कि आने वाली फक्र करेंगी हमने सोनल जी को देखा है।उन्होने कहा कि प्रस्तुति देखते समय यह इंद्रप्रस्थ है या इंद्रलोक है मुझे पता ही नहीं चला, इंद्रलोक जैसा आनंद था, हमें अपनी विधा का सम्मान करना चाहिए। 12 वी सदी के बाद के मुगल काल को याद करते हुए कहा कि उस समय कला थोड़ी कमज़ोर पड़ी । उस समय के सभी गुरुओं को धन्यवाद देते हुए भारत की कला का अक्षुण्ण बनाने के लिये अपनी कृतज्ञता प्रकट की । साथ ही कहा कि यह लोक कला लोकभाषा लोक-संस्कृति के पुर्नजागरण का काल है।
कार्यक्रम के अंत में डॉ हरिवंश , केंद्रीय मंत्री एसपीएस बघेल वह दिल्ली पुलिस कमिश्नर डॉ राकेश अस्थाना द्वारा कलाकारों वह कोरियोग्राफर्स का सम्मान किया गया। सभी ने डॉ सोनल मानसिंह का अभिनंदन भी किया।
कार्यक्रम के लिए कमानी सभागार खचाखच भरा हुआ था , आजादी के अमृत महोत्सव की सांस्कृतिक धारा से सभी दर्शक आनंदित दिखे।