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कंपनी कर की दर घटाने, रियायतें खत्म करने की शुरुआत हो सकती है बजट में

उद्योग व्यवसाय जगत के विशेषज्ञों ने कहा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बार के बजट में कार्पोरेट कर की दर में कटौती और उद्योगों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की कर रियायतों को धीरे-धीरे वापस लेने की शुरुआत कर सकते हैं। इसके साथ ही खास कर वेतनभोगी वर्ग की क्रयशक्ति बढाने के लिए व्यक्तिगत आय पर कर छूट की सीमा को मौजूदा ढाई लाख से कुछ ऊपर की जा सकती है।
कंपनी कर की दर घटाने, रियायतें खत्म करने की शुरुआत हो सकती है बजट में

जेटली 29 फरवरी को 2016-17 का वार्षिक सामान्य बजट पेश करेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार आम बजट में कार्पोरेट कर में एक प्रतिशत की कटौती की जा सकती है वहीं दूसरी तरफ कई उत्पादों पर उत्पाद शुल्क और अन्य करों में दी जाने वाली कुछ छूट समाप्त की जा सकती है। सरकार ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व बैठकों में इस तरह के संकेत दे रखे हैं।

जेटली ने पिछले बजट में घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाने के ध्येय से कंपनी कर को चार साल में मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की घोषणा की थी। साथ ही उन्हेंने करों में दी जाने वाली तमाम तरह की छूटों को भी धीरे धीरे समाप्त करने का प्रस्ताव किया था ताकि कर प्रणाली को अधिक सरल और प्रभावशाली बनाया जा सके।

उद्योग मंडल एसोचैम की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष निहाल कोठारी ने कहा, ‘आगामी बजट में कार्पोरेट कर में एक प्रतिशत कटौती और रियायतों को कम करने की शुरुआत हो सकती है। खाद्य उत्पादों सहित करीब 300 उत्पाद हैं जिन पर उत्पाद शुल्क छूट को समाप्त किया जा सकता है। आगामी बजट को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में दी जाने वाली रियायतों को समाप्त किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘आयकर के मोर्चे पर भी स्थिति में कुछ बदलाव हो सकता है। व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा मौजूदा 2.50 लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये की जा सकती है। इससे अर्थव्यवस्था में खपत और वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।’ दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष अशोक अग्रवाल को भी इस बार कंपनीकर की दर में घोषित योजना के अनुसार कटौती के साथ साथ कई प्रकार की रियायतें वापस लिए जाने की उम्मीद है। अग्रवाल ने कहा कि बाजार में नरमी के मौजूदा हालात को देखते हुए शेयर बाजार में खरीद-फरोख्त पर लगने वाले कर में भी कमी की जा सकती है। अग्रवाल ने कहा कि प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) और उपभोक्ता जिंस लेनदेन कर (सीटीटी) वापस लिए जाने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा कि पूंजीगत लाभ कर और लाभांश वितरण कर (डीडीटी) में कोई बदलाव नहीं लाया जाना चाहिए। दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर और अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर में यथास्थिति बनाए रखना ही बेहतर होगा। इस समय दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर की दर 15 प्रतिशत है और अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर कर शून्य है।

वित्त मंत्री ने पिछले बजट भाषण में कंपनी कर कम करने की वकालत करते हुए कहा था, ‘देश में कार्पोरेट कर की दर अन्य प्रमुख एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले ऊंची है जिससे घरेलू उद्योग प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाते हैं, दूसरी तरफ वास्तविक कंपनी कर की प्राप्ति 23 प्रतिशत ही होती है। हमें दोनों तरह से नुकसान होता है, एक तरफ हम ऊंची कर वाली अर्थव्यवस्था माने जाते हैं जबकि दूसरी तरफ कई तरह की रियायतों के चलते हमें पूरा कर भी नहीं मिलता है। इसलिए मैं चार साल के दौरान कार्पोरेट कर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने का प्रस्ताव करता हूं। कर में कटौती के साथ ही विभिन्न प्रकार की कर रियायतों को हटाने और तर्कसंगत बनाने का काम भी किया जायेगा।

कोठारी ने कहा कि इस बजट में आयकर छूट सीमा ढाई लाख से बढ़कर तीन लाख किए जाने की जरूरत है। अब तक आम नौकरीपेशा व्यक्ति को ढाई से पांच लाख रुपये की आय पर 10 प्रतिशत और पांच से दस लाख रुपये की सालाना आय पर 20 प्रतिशत की दर से कर देना होता है। दस लाख से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है। वरिष्ठ नागरिकों और 80 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों के मामले में कर छूट की सीमा और ज्यादा है।

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