वैसे तो दुनियाभर में कोरोना महामारी की मार ने सैकड़ों जिंदगियों पर असर डाला है। इन दो सालों में लोगों का ऐसी-ऐसी चीजों से सामना हुआ कि शायद ही कभी किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। अब इसका असर ऐसे व्यापार में देखा जा रहा है जो बढ़ने के बजाय कम होता नजर आ रहा है। कोरोना महामारी के दौरान कॉन्डम की बिक्री में भारी गिरावट आई है।
दुनियाभर में कोरोना लॉकडाउन और लोगों के घरों में रहने के बावजूद भी कॉन्डम का प्रयोग करके यौन संबंध बनाने के मामलों में बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसकी वजह से कंपनियों का लगाया गया अंदाजा अब गलत साबित होता नजर आ रहा है। पिछले दो सालों में कॉन्डम बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी की बिक्री में 40 फीसदी की गिरावट आई है।
कारेक्स बीएचडी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोह मिआह किआट ने इस बारे में अहम जानकारी साझा की है। निक्केई एशिया की रिपोर्ट ने अनुसार होटलों और गैर जरूरी क्लिनिक्स जैसे सेक्सुअल वेलनेस सेंटर के कोरोना महामारी के दौरान बंद रहने, सरकार के कॉन्डम को बढ़ावा देने वाले प्रोग्राम में कमी के कारण कारेक्स के कॉन्डम की ब्रिकी पर काफी गिरावट दर्ज की गई है।
इससे पहले कारेक्स ने अनुमान लगाया था कि कोरोना काल में कॉन्डम की बिक्री में दोहरे अंक की वृद्धि देखने को मिल सकती है।
कारेक्स मलेशिया की एक कॉन्डम बनाने वाली कंपनी है जो दुनिया में हर 5 में से 1 कॉन्डम बनाती है। कंपनी को इसका इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि अब वह कॉन्डम की बजाय मेडिकल ग्लब्स बनाने लग गई है। यह अभी ज्यादा डिमांड में चल रहा है। गोह ने कहा कि उनके ग्लब्स बनाने वाले प्लांट इस साल के बीच में थाइलैंड में भी शुरू हो जाएंगे।
यह कंपनी हर साल 5 अरब से ज्यादा कॉन्डम बनाती है और इसका दुनिया के 140 देशों में निर्यात किया जाता है। कंपनी को बिक्री में गिरावट का इतना ज्यादा असर देखने को मिला कि कारेक्स के शेयर में भी पिछले दो साल में 18 प्रतिशत की गिरावट आ गई। मलेशिया के बेंचमार्क स्टॉक इंडेक्स में भी 3.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।