कोविड-19 महामारी से विश्व अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हो सकता है, अब इसके सबूत में आंकड़े भी आने लगे हैं। चीन ने मार्च तिमाही के जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी किए हैं। जनवरी से मार्च के दौरान चीन की अर्थव्यवस्था का आकार 6.8 फ़ीसदी घट गया। यह 1976 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन है। कोरोनावायरस के संक्रमण की शुरुआत चीन से ही हुई थी। वहां पहला मामला पिछले साल दिसंबर के अंत में सामने आया था। इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए चीन के बड़े हिस्से में सभी तरह की आर्थिक गतिविधियां करीब 2 महीने तक बंद रही थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस वर्ष चीन की विकास दर 1.2 फ़ीसदी रहने का अनुमान जताया है।
2019 की विकास दर 29 साल में सबसे कम
चीन के नेशनल ब्यूरो आफ स्टैटिसटिक्स (एनबीएस) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 2019 में भी अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन खराब ही रहा। पिछले साल विकास दर 6.1 फ़ीसदी रही जो 29 साल में सबसे कम है। हालांकि एकमात्र सांत्वना की बात यह है कि विकास की दर 6फ़ीसदी के मनोवैज्ञानिक आंकड़े से ऊपर रही है। पिछले साल के अंत में चीन की जीडीपी का आकार 14.3 8 लाख करोड़ डॉलर हो गया? वैसे पिछले कई वर्षों से निर्यात की वृद्धि दर कम होने के चलते चीन की विकास दर लगातार कम हो रही है।
गिरावट हर सेक्टर में, फिर भी बेरोजगारी दर घटी
एनबीएस के आंकड़ों के अनुसार अर्थव्यवस्था में 60 फ़ीसदी का योगदान करने वाले सर्विस सेक्टर में 5.2 फ़ीसदी की गिरावट आई है। प्राइमरी इंडस्ट्री सेक्टर में 3.2 फ़ीसदी और सेकेंडरी इंडस्ट्री सेक्टर में 9.6 फ़ीसदी की गिरावट आई। कंज्यूमर गुड्स की रिटेल बिक्री 19 फ़ीसदी कम हो गई। इस रिटेल बिक्री से ही घरेलू मांग का पता चलता है। हालांकि आश्चर्यजनक बात यह है कि तमाम आंकड़ों में गिरावट के बावजूद बेरोजगारी में सुधार आया है। शहरी इलाकों में मार्च में बेरोजगारी दर 5.9 फ़ीसदी दर्ज हुई। यह फरवरी की तुलना में 0.3 फ़ीसदी कम है।
विशेषज्ञों के अनुमान से खराब रहा प्रदर्शन
हांगकांग से निकलने वाले अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा है कि 1976 की सांस्कृतिक क्रांति बाद पहली बार चीन की विकास दर नेगेटिव रही है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष माओ जे़डोंग की अगुवाई में यह क्रांति हुई थी। तब इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा था। अखबार के अनुसार विश्लेषक तो सिर्फ 6 फ़ीसदी नेगेटिव ग्रोथ का अनुमान लगा रहे थे जबकि वास्तविक आंकड़े इससे भी खराब निकले।