इंडिया रेटिंग एवं शोध एजेंसी ने आज यह बात कही। सरकार ने अपने एक करोड़ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने का फैसला किया है। इंडिया रेटिंग के अनुसार बढ़े हुये वेतन-भत्तों का सरकारी खजाने पर 94,775 करोड़ रुपये तक प्रभाव पड़ेगा जो कि सकल घरेलू उत्पाद का 0.63 प्रतिशत है।
शोध एजेंसी के मुताबिक, बढ़े हुये वेतन पर केन्द्र सरकार को ज्यादा आयकर प्राप्त होगा इसके साथ ही उसे वस्तुओं एवं सामान की खपत बढ़ने पर अधिक उत्पाद शुल्क भी मिलेगा। आयकर और उत्पाद शुल्क वृद्धि में से राज्यों को उनका हिस्सा दिये जाने के बाद केन्द्र सरकार के वित्त पर शुद्ध रूप से 80,641 करोड़ रपये (जीडीपी का 0.54 प्रतिशत) बोझ ही पड़ने का अनुमान है।
इंडिया रेटिंग के मुताबिक इन सिफारिशों के अमल में आने पर अर्थव्यवस्था में खपत में 45,110 करोड़ रुपये (जीडीपी का 0.30 प्रतिशत) की वृद्धि होगी जबकि बचत में 30,710 करोड़ रुपये (जीडीपी का 0.20 प्रतिशत) वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके मुताबिक राज्यों की वित्तीय स्थिति पर वेतन वृद्धि का ज्यादा गहरा असर नहीं होगा, जैसा कि पहले माना जा रहा था क्योंकि बकाये का बोझ कम होगा। शोध एजेंसी के अनुसार वेतन वृद्धि से तुरंत मुद्रास्फीति बढ़ने का भी कोई खतरा नहीं है।