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‘स्वदेशी आयरन डोम’ मिशन: सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, "सुदर्शन चक्र होगा भारत का रक्षा कवच"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा की थी। वहीं,...
‘स्वदेशी आयरन डोम’ मिशन: सीडीएस अनिल चौहान ने कहा,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा की थी। वहीं, मंगलवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने इस परियोजना पर अपने पहले बयान दिए। उन्होंने बताया कि यह मिशन भारत के लिए एक बहु-स्तरीय, नेटवर्केड रक्षा तंत्र तैयार करेगा, जो दुश्मन के हवाई और अन्य खतरों से देश और उसके महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

जनरल चौहान के अनुसार, सुदर्शन चक्र मिशन में दुश्मन के हवाई वेक्टर का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और नष्ट करने के लिए मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रक्रियाओं का विकास किया जाएगा। इसमें ‘सॉफ्ट किल्स’ (इलेक्ट्रॉनिक और साइबर उपाय जो खतरों को निष्क्रिय या भटकाते हैं) और ‘हार्ड किल्स’ (हथियार जैसे मिसाइल या लेज़र जो शारीरिक रूप से नष्ट करते हैं) दोनों का उपयोग किया जाएगा।

उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) की सफल उड़ान परीक्षण की भी चर्चा की। इस प्रणाली में स्वदेशी क्विक रिएक्शन सतही-से-वायु मिसाइल (QRSAM), एडवांस्ड वरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) मिसाइल और 5-किलोवाट लेज़र शामिल हैं। ये सभी तकनीकें मिलकर दुश्मन के हमलों का प्रभावी जवाब देंगी।

CDS ने बताया कि मिशन के लिए बहु-डोमेन ISR, जमीन, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष और सेंसर्स का समेकन अनिवार्य होगा। इसके लिए विशाल मात्रा में डेटा का वास्तविक समय में विश्लेषण करना होगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), उन्नत कम्प्यूटेशन, डेटा एनालिटिक्स, बिग डेटा, क्वांटम तकनीक और LLM जैसी तकनीकों का उपयोग इस मिशन में महत्वपूर्ण होगा।

उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश के लिए इस स्तर का मिशन नेशन-व्होल अप्रोच की मांग करता है। लेकिन उनका विश्वास है कि भारतीय इसे न्यूनतम और किफायती लागत में सफलतापूर्वक पूरा करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, सुदर्शन चक्र मिशन देश को बहु-स्तरीय सुरक्षा प्रदान करेगा, जिसमें निगरानी, साइबर सुरक्षा और वायु रक्षा प्रणालियों का संयोजन शामिल होगा। यह लंबी दूरी की मिसाइलों, विमान और ड्रोन जैसी धमकियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगा। रक्षा अनुसंधान संगठन और निजी क्षेत्र के सहयोग से इस परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा।

मिशन सुदर्शन चक्र भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊँचाई पर ले जाने और स्वदेशी तकनीकों के प्रयोग के माध्यम से सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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