लॉकडाउन की वजह से देश में बेरोजगारी दर में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। केवल 15 दिन में बेरोजगारी दर 23 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है। बेरोजगारी दर में यह बढ़ोतरी मार्च के आखिरी हफ्ते और अप्रैल के पहले हफ्ते के दौरान देखी गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा जारी इस आंकड़े के अनुसार, मार्च के महीने में पहले से ही बेरोजगारी दर ज्यादा थी लेकिन लॉकडाउन के ऐलान के बाद इसमें बड़ी तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है।
43 महीने में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
सर्वे के अनुसार मार्च के महीने में बेरोजगारी दर 8.7 फ़ीसदी रही है जो कि पिछले 43 महीने की सबसे ऊंची बेरोजगारी दर है। इससे पहले सितंबर 2016 में इतनी ऊंची दर थी। मार्च के महीने में इतनी ज्यादा बेरोजगारी की बड़ी वजह आखिरी हफ्ते में लॉकडाउन का ऐलान होना है। इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं। जनवरी 2020 में 7.16 फीसदी बेरोजगारी दर थी।
नौकरी की उम्मीद नहीं
चिंता की बात यह है कि पहली बार लेबर पार्टिसिपेशन रेट 42 फ़ीसदी के नीचे आ गई है। मार्च के महीने में ही यह 41.9 फ़ीसदी पर आ गई है। जबकि फरवरी में 42.6 फ़ीसदी के स्तर पर थी। लेबर पार्टिसिपेशन रेट में गिरावट का सीधा मतलब यह है कि जॉब मार्केट में लेबर नौकरी के लिए नहीं आ रहे हैं। यानी उम्मीद नहीं है कि उसे नौकरी मिलेगी। जो एक गंभीर संकेत है।
लॉकडाउन से सर्वे में आई दिक्कत
सीएमआईई के अनुसार 24 मार्च की आधी रात से लॉकडाउन होने की वजह से सर्वे करना मुश्किल भरा रहा। ऐसे में उन्होंने क्षेत्रों में मौजूद अपने कर्मचारियों के आकलन, लोगों से टेलीफोन पर किए गए इंटरव्यू के आधार पर यह सर्वे तैयार किया है।