मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मेसर्स टैक्ट इंडिया की शिकायतों पर छह ठिकानों पर छापे मारे जिनमें से पांच ठिकाने नकली सामान कारोबारियों के थे और एक जगह बियरिंग और पैकेजिंग मैटेरियल के लिए स्टांपिंग यूनिट की थी। टैक्ट इंडिया को एसकेएफ और एफएजी के पार्ट्स बेचने के लिए अधिकृत किया गया है। कारोबारियों और दुकानों पर छापेमारी में प्रवर्तन की टीम ने इन सभी ठिकानों से लगभग एक करोड़ रुपये का नकली माल बरामद किया।
जांच आधारित अध्ययन बताता है कि बाजार में अभी भी कई ऐसे कारोबारी हैं जो नकली स्पेयर पार्ट्स की खरीद-फरोख्त करते हैं और आश्चर्य की बात यह है कि उनके पास से बरामद नकली माल पर जर्मनी, फ्रांस, चीन, चेक और भारत निर्मित होने का दावा किया गया है। कॉपीराइट और व्यापार चिह्न अधिनियम के मुताबिक नकली उत्पादों का विनिर्माण, बिक्री और कारोबार गैरकानूनी है। मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा ने आईपीसी की धारा 420, आईपीसी 34 और कॉपीराइट एक्ट 51, 63 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया है और माननीय अदालत से उक्त आरोपियों को पुलिस हिरासत में लेने का अनुरोध किया है।
कम क्वालिटी वाले नकली माल के उत्पादन से देश की महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ योजना भी प्रभावित होती है जबकि इस योजना के जरिये देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है। देश में नकली माल का बाजार सालाना 44 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और सन 2014 में इसके 1.05 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है।
यही वजह है कि सन 2010 से भारत को प्राथमिकता वाले अमेरिकी निगरानी सूची के देशों में रखा गया है और इसे बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) उल्लंघन वाले देशों में शुमार किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्कोहल, उपभोक्ता पैकेज्ड वस्तुएं, सौंदर्य उत्पाद, तंबाकू, मोबाइल और मोबाइल पार्ट्स, ऑटो पार्ट्स तथा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर जैसे सेक्टरों में नकली माल का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। नकली माल के उत्पादन से सरकार को कर राजस्व का भी बड़ा नुकसान होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, सन 2014 में सरकार को नकली माल के उत्पादन के कारण लगभग 39,200 करोड़ रुपये के कर संग्रह का नुकसान हुआ जो सन 2012 के 26,100 करोड़ रुपये के नुकसान के मुकाबले 50 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।