रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत का आउटलुक स्थिर से घटाकर निगेटिव कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने आठ साल में पहली बार भारत का आउटलुक घटाकर निगेटिव किया है। कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे भारत के बारे में उसने कहा है कि इस महामारी से चालू वर्ष में भारत की आर्थिक विकास की संभावनाएं कमजोर हुई हैं। अत्यधिक सार्वजनिक कर्ज की भी समस्या होने के कारण देश की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
मूडीज ने पहले घटाई थी रेटिंग
इस महीने के शुरू में रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा रेटिंग घटाए जाने के बाद फिच ने भी ऐसा ही रुख अपनाया है। मूडीज ने पिछले 22 साल में पहली बार भारत की सोवरेन रेटिंग एक पायदान घटाकर सबसे निचली इन्वेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग बीएए2 पर ला दिया।
फिच ने एक बयान जारी करके कहा है कि भारत की लांग-टर्म फोरेन करेंसी इश्यूअर डिफॉल्ट रेटिंग (आइडीआर) का आउटलुक स्थिर से घटाकर निगेटिव कर दिया है। एजेंसी ने बीबीबी- रेटिंग की भी पुष्टि की है।
इस साल गिरावट, अगले साल रिकवरी
फिच का अनुमान है कि अगले 31 मार्च को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक गतिविधियों में 5 फीसदी की गिरावट आएगी क्योंकि कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए सरकार ने दो महीने से ज्यादा समय का सख्त लॉकडाउन लगाया था। हालांकि उसका अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में विकास दर सुधरकर 9.5 फीसदी हो जाएगी।
केस तेजी से बढ़े तो और घटेगी रफ्तार
रेटिंग एजेंसी के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत की आर्थिक संभावनाएं इस साल के लिए बहुत कमजोर रहने की हैं। भारी सरकारी कर्ज होने की भी समस्या होने के कारण चुनौतियां बहुत बढ़ गई हैं। अगले वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी विकास दर की संभावना के बारे में उसका कहना है कि चालू वित्त वर्ष में गिरावट आने के कारण अर्थव्यवस्था का सीमित बेस होने के कारण 9.5 फीसदी की विकास दर रहने की संभावना है। हालांकि रेटिंग एजेंसी का कहना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद कोविड-19 के केसों में तेजी से बढ़ोतरी होने के कारण विकास दर इन अनुमानों से भी सुस्त रहने का खतरा है। पहले की तरह 6-7 फीसदी की तेज विकास दर पर भारतीय अर्थव्यवस्था के लौटने की संभावना पर फिच का कहना है कि यह इस पर निर्भर करेगा कि महामारी का प्रभाव देश पर कब तक रहता है, खासकर वित्तीय क्षेत्र में कब रिकवरी आती है।