मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर सिर्फ 1.1 फ़ीसदी रह सकती है। एसबीआई ने गुरुवार को जारी अपनी इकोरैप रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। रिपोर्ट के मुताबिक लॉक डाउन की अवधि बढ़ने से 12.1लाख करोड़ रुपए का नुकसान अर्थव्यवस्था को होगा। यह नॉमिनल ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (जीवीए) का 6 फ़ीसदी है। पूरे साल में जीवीए वृद्धि दर 4.2 फ़ीसदी रह सकती है। इसी तरह नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर 4.2 फ़ीसदी रहने का अनुमान है, यानी वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 1.1 फ़ीसदी रहेगी।
लॉक डाउन से 37.3 करोड़ लोगों को 4 लाख करोड़ रुपए की आमदनी का नुकसान
पीएलएफएस सर्वे का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में 37.3 करोड़ लोग स्वरोजगार वाले, नियमित कर्मचारी या ठेका कर्मचारी हैं। इनमें स्वरोजगार वाले 52 फ़ीसदी और ठेका कर्मचारी 25 फ़ीसदी हैं। बाकी 23 फ़ीसदी ही नियमित वेतन पाने वाले कर्मचारी हैं। इन 37.3 करोड़ कर्मचारियों को लॉक डाउन से प्रतिदिन 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यानी 40 दिन के लॉक डाउन में इन्हें 4.05 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा। इसमें ठेका कर्मचारियों का नुकसान कम से कम एक लाख करोड़ रुपए का होने का अंदेशा है। इसलिए सरकार को अपने आर्थिक पैकेज में इस नुकसान को ध्यान में रखना चाहिए।
केंद्र के साथ राज्यों का घाटा भी बढ़ेगा
रिपोर्ट के अनुसार जीडीपी के अनुमान बदलने से राजकोषीय अनुमानों में भी बदलाव होंगे। सरकार के शुद्ध कर राजस्व में 4.12 लाख करोड़ रुपए की कमी आ सकती है। राज्यों का राजस्व 1.32 लाख करोड़ रुपए कम रहने का अंदेशा है। राजकोषीय घाटा 5.7 फ़ीसदी तक पहुंच सकता है। राज्यों का घाटा 2 फ़ीसदी के बजट अनुमान की तुलना में बढ़कर 3.5 फ़ीसदी तक जा सकता है।
इस वर्ष पूरे विश्व की यही स्थिति रहने के आसार
यह स्थिति भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की रहने वाली है। कई देशों में सरकारें रिटेल स्टोर, फैक्ट्रियां, एयरलाइंस और स्कूल जल्दी खोलने की बात कर रही हैं। लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि स्थिति सामान्य होने में अभी काफी वक्त लगेगा। अमेरिका में औद्योगिक उत्पादन 1946 के बाद सबसे अधिक गिरा है। बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद मार्च में रिटेल बिक्री 8.7 फ़ीसदी घट गई है। ब्रिटेन में एक सरकारी सर्वे में पता चला कि एक चौथाई कंपनियों में कामकाज पूरी तरह से बंद है। चीन में फैक्ट्रियों में दोबारा उत्पादन शुरू तो हुआ है लेकिन एक तो निर्यात मांग अभी नहीं के बराबर है और दूसरा घरेलू मांग भी बहुत कम है। कोरोना संकट के चलते दुनिया के अनेक देशों में पूर्ण या आंशिक लॉक डाउन है। आईएमएफ का अनुमान है कि इस महा लॉक डाउन से होने वाला नुकसान 1930 के दशक की महामंदी के बाद सबसे अधिक होगा।