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दूसरी तिमाही में जीडीपी में सुधार, वृद्धि दर 5.7 से 6.3 फीसदी पहुंची

वित्त वर्ष की 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में सुधार हुआ...
दूसरी तिमाही में जीडीपी में सुधार, वृद्धि दर 5.7 से 6.3 फीसदी पहुंची

वित्त वर्ष की 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में सुधार हुआ है और यह 6.3 फीसदी पहुंच गई है। इससे पूर्व पहली तिमाही में यह 5.7 फीसदी थी जो पिछले तीन साल में सबसे निचले स्तर पर थी। इस लिहाज से आज जो आकंड़े सामने आए हैं वे उत्साहजनक हैं। दूसरी तिमाही में जीडीपी के 31.66 लाख करोड़ रुपये रहने के अनुमान हैं। 2016-17 में इस इस दौरान यह 29.79 लाख करोड़ रुपये थी।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीडीपी की विकास दर 6.3 पहुंचने का अर्थ है कि पांच तिमाहियों से चला आ रहा गिरावट का दौर अब खत्म हो गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाली तिमाहियों में भी वृद्धि जारी रहेगी। दूसरी ओर, वित्त सचिव हंसमुख अधिया ने कहा कि आंकड़े जब पूरी तरह से संसोधित होकर जारी होंगे तो यह यह दर और ज्यादा हो सकती है। नीति आयोग के सीइओ अमिताभ कांत ने कहा कि वृद्धि दर से अगले दशक में नौ से दस फीसदी तक पहुंचना जरूरी है। इसके लिए सरकार ढांचागत सुधार कर रही है। निर्माण, खनन और बिजली के क्षेत्र व्यापक बदलाव आ रहे हैं।

इस बीच, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि इस तिमाही में विकास दर 6.3 पहुंचा है। यह पिछले पांच तिमाहियों की गिरावट की प्रवृत्ति में रोक है। उन्होंने कहा कि लेकिन हम अभी यह नहीं कह सकते कि यह आगे भी वृद्धि दर की प्रवृत्ति दिखाएगी। ठोस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए हमें तीन-चार तिमाहियों तक इंतजार करना होगा।

केंद्रीय सांख्यिकी विभाग (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 1.2 फीसदी से बढ़कर 7 फीसदी तक पहुंच गई है। जबकि इस दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2.3 फीसदी से गिरकर 1.7 फीसदी तक पहुंच गई। आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के महीने में समाप्त हुर्इ तिमाही के दौरान ट्रेड, होटल और परिवहन क्षेत्र की वृद्धि दर 9.9  फीसदी पर पहुंच गई।

2016-17 की दूसरी तिमाही की तुलना में इस वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान जिन क्षेत्रों में छह फीसदी से अधिक वृद्धि दर्ज की गई उनमें विनिर्माण, बिजली, गैस, जल वितरण और अन्य उपयोगी सेवाएं, व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट आदि शामिल हैं। कृषि, वन एवं मछली पालन, खनन, निर्माण, बीमा, रीयल एस्टेट, प्रोफेसनल सर्विसेज, लोक प्रशासन, रक्ष और अन्य सेवाओं में यह छह फीसदी से नीचे रही।

हालांकि, दूसरी तिमाही में भी जीएसटी का असर दिख रहा है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि से जीडीपी ग्रोथ बढ़ने में मदद मिली है। बताया यह भी जा रहा है कि तिमाही के आधार पर जीडीपी में रिकवरी देखने को मिल सकती है। सितंबर तिमाही में औद्योगिक विकास में भी सुधार दिखने को मिल रहा है। इसके साथ ही, रियल स्टेट क्षेत्र में भी काफी सुधार दिख रहा है।

इससे पहले विश्लेषकों ने अनुमान जताया था कि कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में (जीडीपी) की वृद्धि दर कुछ बेहतर रहेगी। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने भी कहा था कि पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत के तीन साल के निचले स्तर पर रही है। दूसरी तिमाही में यह कुछ बेहतर 6.3 से 6.4 प्रतिशत के बीच रह सकती है। सकल मूल्य आधारित वृद्धि दर 6.1 से 6.2 प्रतिशत रहेगी।

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