हम कर से बचने की पनाहगाह नहीं हैं और न ही ऐसी पनाहगाह बनने का हमारा इरादा है। वित्त मंत्री ने यह बात ऐसे समय कही है जब देश में काम कर रहे करीब 100 विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को करीब 5 से 6 अरब डॉलर के कर मांग के नोटिस जारी किए गए है। आयकर विभाग ने विदेशी संस्थानों के पूंजीगत लाभ पर 20 प्रतिशत की दर से न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) आरोपित किया है। विभाग का कहना है कि कर की यह मांग भारतीय बाजार में इन कोषों द्वारा पिछले वर्षों में कमाए गए उस लाभ पर की गई है जिन पर कर नहीं लगाया जा सका था।
अब जेटली ने कहा है कि जो कर बनते हैं, उनका भुगतान किया ही जाना चाहिए। जाहिर है कि जेटली इन नोटिसों के समर्थन में खड़े हैं। हालांकि, जेटली ने अपने बजट भाषण में एफआईआई पर मैट का प्रावधान खत्म करने का प्रस्ताव किया है। सीआईआई की आमसभा में उन्होंने कहा, जो कर नहीं बनते उन्हें नहीं चुकाया जाना चहिए और उनको चुनौती दी जानी चाहिए... लेकिन जो कर बनते हैं उन्हें जरूर चुकाया जाना चाहिए।
काले धन के विरूद्ध प्रस्तावित नए कानून के बारे में उन्होंने कहा कि विदेशों में संपत्ति रखने वाले लोगों को उसके अनुपालन के लिए समुचित समय दिया जाएगा। उन्होंने कहा, जिन लोगों ने पिछले समय में दुस्साहस किया है उन्हें अनुपालन के लिए समुचित अवसर दिया जाएगा। उन्होंने अघोषित विदेशी आय एवं परिसंपत्ति (करारोपण) विधेयक 2015 के बारे में सुझाव भी आमंत्रित किए। विदेशो में जमा काले धन के खिलाफ विधेयक लोकसभा में पेश किया जा चुका है। इसमें 10 साल तक की सजा और भारी जुर्माने के सख्त प्रावधान हैं। इसमें लोगों को कानून के अनुपालन के लिए थोड़ा समय देने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरकार वस्तु एवं सेवा कर संविधान संशोधन विधेयक, कंपनी कर संशोधन विधेयक तथा भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को भी पारित करना चाहती है।
जेटली ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के बारे में कहा कि इस पर व्यापक समहति बन चुकी है। इस पर चर्चा करा कर पारित कराने का प्रस्ताव बजट सत्र के दूसरे चरण में रखा जाएगा। दूसरा चरण 20 अप्रैल से शुरू हो रहा है। भूमि अधिग्रहण विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि इसे पारित कराना एक बड़ी चुनौती है। वित्त मंत्री ने कहा, मेरा दृढ़ मत है कि 2013 का कानून ग्रामीण भारत के लिए बहुत ही नुकसानदेह है और मैं इस बात को विशेष रूप से कह रहा हूं।