बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक ताजा एक रपट में कहा गया है कि चीन और भारत आर्थिक वृद्धि बरकरार रहने से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लोगों की संपत्ति बढ़ रही है। रपट में कहा गया कि अमेरिका 2014 में अति उच्च कोटि के धनाढ्यों की संख्या 5,302 थी। उसके बाद चीन (।,037), ब्रिटेन (।,019), भारत (928) और जर्मनी (679) का स्थान रहा। भारत के धनाढ्य परिवारों की संख्या 2013 के 284 के मुकाबले एक साल में तीन गुनी से भी अधिक हो गई।
रपट में कहा गया कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में निजी संपत्ति 2014 में 29 प्रतिशत बढ़कर 47,000 अरब डालर हो गई और यह यूरोप (पूर्वी एवं पश्चिमी यूरोप) को पीछे छोड़कर विश्व का दूसरा सबसे अमीर क्षेत्र बन गया। एशिया-प्रशांत (जापान को छोड़कर) 2016 में अनुमानित 57,000 अरब डालर की निजी संपत्ति के साथ उत्तरी अमेरिका (56,000 अरब डालर) को पार कर जाएगा।
कल जारी रपट के मुताबिक इस रफ्तार से यह क्षेत्र 2016 में 57,000 अरब डालर की पारिवारिक संपत्ति के साथ विश्व में सबसे संपन्न क्षेत्र के तौर पर उत्तरी अमेरिका को पछाड़ देगा। अनुमान है कि 2019 तक एशिया प्रशांत क्षेत्र के पास वैश्विक निजी संपत्ति का 34 प्रतिशत हिस्सा होगा।
रपट के मुताबिक 10 प्रतिशत सालाना वृद्धि के साथ एशिया प्रशांत में निजी संपत्ति 2019 तक बढ़कर 75,000 अरब डॉलर हो जाएगी। रपट में कहा गया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्रा में संपत्ति में वृद्धि इसकी दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, चीन और भारत की निरंतर वृद्धि से प्रेरित रही। चीन और भारत में निजी संपत्ति में बढ़ोतरी मुख्य तौर पर स्थानीय शेयर बाजारों में निवेश से अर्जित लाभ से प्रेरित रही। चीन के शेयर बाजार में वर्ष के दौरान 38 प्रतिशत और भारतीय शेयर बाजार में 23 प्रतिशत की तेजी आई।
इस दौरान वैश्विक निजी संपत्ति 2014 में करीब 12 प्रतिशत बढ़कर 164,000 अरब डालर हो गई। रपट में कहा गया है कि बढ़ोतरी 2013 के अनुरूप रही जबकि वैश्विक संपत्ति 12 प्रतिशत से थोड़ी अधिक रही। अगले पांच साल में वैश्विक स्तर पर कुल निजी संपत्ति छह प्रतिशत की सालाना वृद्धि की दर से 2019 में 222,000 अरब डालर हो जाएगी।