पिछले वर्ष के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश छह फीसदी बढ़कर 42 अरब डॉलर हो गया जो दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा रहा। हालांकि समूचे एशिया की बात करें तो विदेशी निवेश आकर्षित करने में चीन, हांगकांग, सिंगापुर और इंडोनेशिया का ज्यादा दबदबा। संयुक्त राष्ट्र के संगठन अंकटाड की रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर एशिया विदेशी निवेश पाने में आगे रहा।
पिछले साल भारत को मिला 42 अरब डॉलर निवेश
अंकटाड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में मैन्यूफैक्चरिंग, कम्युनिकेशन, वित्तीय सेवाओं और अंतरराष्ट्रीय विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में ज्यादा एफडीआइ मिला। जबकि दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा 42 अरब डॉलर निवेश भारत में ही आया। बांग्लादेश और श्रीलंका में एफडीआइ बढ़कर क्रमशः 3.6 अरब डॉलर और 1.6 अरब डॉलर हो गया। जबकि पाकिस्तान में विदेशी निवेश 27 फीसदी गोता लगा गया और यह घटकर 2.4 अरब डॉलर रह गया। पूरे एशिया में एफडीआइ 3.5 फीसदी बढ़कर 54 अरब डॉलर हो गया।
एशिया के कुल निवेश में भारत का हिस्सा दस फीसदी से कम
भारत में निवेश छह फीसदी बढ़ने के बाववजूद एशिया के कुल निवेश में उसकी हिस्सेदारी दस फीसदी भी नहीं है। अंकटाड की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले साल 42 अरब डॉलर निवेश आया जबकि समूचे एशिया में विदेशी निवेश 512 अरब डॉलर हो गया जो 3.9 फीसदी ज्यादा था। एशियाई देशों को पूरी दुनिया का 39 फीसदी निवेश मिला जो सबसे बड़ा हिस्सा है। इस क्षेत्र में 4000 से ज्यादा स्पेशन इकोनॉमिक जोन हैं जो पूरी दुनिया के तीन चौथाई एसईजेड हैं। 2017 में इस क्षेत्र में पूरी दुनिया का 33 फीसदी निवेश आया था। एशिया में एफडीआइ पाने वाले प्रमुख देशों में चीन, हांगकांग, सिंगापुर, इंडोनेशिया का दबदबा रहा. इसके अलावा भारत और टर्की को भी अच्छा निवेश मिला। खास बात यह भी रही कि एशिया से दूसरे क्षेत्रों में निवेश पिछले साल 2.5 फीसदी घटकर 401 अरब डॉलर रह गया। चीन और सिंगापुर से दूसरे देशों में निवेश कम रहा।
इस साल भी अच्छा रहेगा विदेशी निवेश
अंकटाड के निदेशक (निवेश एवं उद्यम) जेम्स खान ने कहा कि सकारात्मक आर्थिक संभावनाओं और कई देशों में निवेश के लिए माहौल सुधारने के प्रयासों के चलते चालू वर्ष में विदेशी निवेश और बढ़ने की संभावना है। अंकटाड का कहना है कि विकासशील एशिया के सभी उपक्षेत्रों में विदेशी निवेश बढ़ने अच्छी संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में नई घोषित परियोजनाओं की वैल्यू दोगुनी होने से एफडीआइ तेज होने की उम्मीद है। हालांकि ग्लोबल ट्रेड पर तनाव के चलते उत्पन्न अनिश्चितताओं से माहौल प्रभावित हो सकता है।
अगले वर्षों में 500 और एसईजेड बनेंगे
चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत द्विपक्षीय सहयोग बढ़ने से इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में दूसरे देशों में निवेश अच्छा रहेगा। खास बात यह भी है कि पूरी दुनिया के 5400 एसईजेड में से 4000 एसईजेड एशिया में ही हैं। इनमें चीन में 2500 से ज्यादा एसईजेड हैं जबकि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में 700, दक्षिण एशिया में 450 और पश्चिमी एशिया में 200 एसईजेड हैं। औद्योगिक नीतियों और विदेशी निवेश के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ने के कारण एसईजेड में उफान सा आया है। पिछले पांच साल में 1000 से ज्यादा नए जोन स्थापित हुए जबकि अगले वर्षों में 500 और जोन स्थापित होंगे।
विकसित देशों में एफडीआइ तीसरे साल भी घटा
अंकटाड के अनुसार विकसित देशों में एफडीआइ पिछले साल 27 फीसदी घटकर 557 अरब डॉलर रह गया। लगातार तीसरे साल इसमें गिरावट आई है। जेम्स खान का कहना है कि पिछले साल विदेशी निवेश घटने के बावजूद इस साल निवेश में सुधार आने की काफी संभावना है। यूरोप में नई परियोजनाओं की घोषणाओं से निवेश तेज होने की संभावना है। ग्लोबल स्तर एफडीआइ लगातार तीसरे साल घटा है। बीते वर्ष 2018 में एफडीआइ 13 फीसदी घटकर 1.3 ट्रिलियन डॉलर रह गया जबकि उससे पिछले साल 1.5 ट्रिलियन डॉलर एफडीआइ प्राप्त हुआ था। एफडीआइ में गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विदेशों से अपनी कमाई को रोकने के कारण आई है।