देश की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे लुढ़कती जा रही है। उद्योगों की स्थिति का संकेत देने वाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक अगस्त में शून्य से भी नीचे चला गया। अगस्त में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) गिरकर -1.1 फीसदी रह गया जो साढ़े छह साल से भी ज्यादा अवधि का सबसे निचला स्तर है। फरवरी 2013 के बाद से आइआइपी कभी इतना नीचे नहीं गिरा था। इस साल जुलाई में आइआइपी में 4.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
23 में से 15 उद्योगों का उत्पादन घटा
केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के 23 उद्योगों में से 15 उद्योगों में अगस्त के दौरान उत्पादन बढ़ने के बजाय घटता दिखाई दिया यानी इनकी सूचकांक शून्य से नीचे दर्ज किया गया। माइनिंग सेक्टर में वृद्धि दर सकारात्मक रही। लेकिन अगस्त के दौरान इसकी रफ्तार सिर्फ 0.1 फीसदी रही। लेकिन बिजली क्षेत्र में उत्पादन 0.9 फीसदी गिर गया।
मैन्यूफैक्चरिंग भी शून्य से नीचे रहा
मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की बात करें तो अगस्त के दौरान इसका आंकड़ा -1.2 फीसदी पर रहा जबकि जुलाई में 4.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। कुल औद्योगिक उत्पादन में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 75 फीसदी से ज्यादा होती है। मैन्यूफैक्चरिंग में ऑटो सेक्टर की हिस्सेदारी 50 फीसदी से भी ज्यादा है। इसमें पिछले एक साल से लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर महज 5 फीसदी पर रह गई थी जो पिछले पांच साल की सबसे धीमी रफ्तार थी।