बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि 27,413 करोड़ रुपये की यह बजटीय सहायता एक जुलाई 2017 से 31 मार्च 2027 तक के लिए है। उन्होंने बताया कि यह सुविधा उन्हीं उद्योगों को मिलेगी जिन्होंने जीएसटी से पूर्व केंद्रीय उत्पाद शुल्क से छूट से लाभ हासिल किया हो। उम्मीद की जा रही है कि सरकार की इस योजना का लाभ इन राज्यों के 4,284 औद्योगिक इकाइयां उठाएंगी।
भारत सरकार ने पूर्वोत्तर औद्योगिक और निवेश संवर्धन नीति (एनइआइआइपीपी) 2007 में शुरू की थी। इसके तहत सिक्किम सहित पूर्वोत्तर के राज्यों उद्योगों के लिए बढ़ावा दिया जाता है। विशेष श्रेणी के राज्यों जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी उद्योगों को बढ़ावा देने लिए विशेष पैकेज दिया जाता है। इसके तहत इन राज्यों को केंद्र के हिस्से का कर लौटा दिया जाता है। एनइआइआइपीपी, 2007 और विशेष श्रेणी वाले राज्यों से जुड़े पैकेज के तहत एक खास लाभ यह था कि वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के बाद प्रथम दस वर्षों तक उत्पाद शुल्क से छूट मिलती थी। केंद्रीय उत्पाद शुल्क से जुड़े नियमों के निरस्त होने के मद्देनजर सरकार ने उन प्रभावित पात्र औद्योगिक इकाइयों को शेष बची अवधि के लिए सीजीएसटी और आईजीएसटी के केंद्रीय हिस्से को रिफंड करने का निर्णय लिया है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र और हिमालयी राज्यों में अवस्थित हैं। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) 6 हफ्तों के भीतर इस योजना को अधिसूचित कर देगा, जिसमें इस योजना के कार्यान्वयन से संबंधित विस्तृत परिचालनात्मक दिशा-निर्देश भी शामिल होंगे।
एक अन्य फैसले में (सीसीइए) ने केंद्र सरकार के एक उपक्रम पोर्ट ब्लेयर स्थित अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह वन एवं बागान विकास निगम लिमिटेड (एएनआइएफपीडीसीएल) को बंद करने और समस्त कर्मचारियों की देनदारियों की अदायगी को मंजूरी दे दी है। उपर्युक्त उपक्रम को बंद कर देने से भारत सरकार की ओर से एएनआईएफपीडीसीएल को मिलने वाले अनुत्पादक ऋणों को बंद करने में मदद मिलेगी तथा इससे परिसंपत्तियों का और ज्यादा उत्पादक इस्तेमाल करना संभव हो पाएगा। वर्तमान में इस निगम में 836 कर्मचारी कार्यरत हैं।