सेवा क्षेत्र की गतिविधि का आकलन करने वाला निक्केइ सेवा कारोबार गतिविधि सूचकांक जून में 50.3 पर रहा जो मई में 51 पर था। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना वृद्धि और इससे कम रहना संकुचन का संकेतक है।
इस सर्वेक्षण का संकलन करने वाली संस्था मार्किट की अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा, भारत सेवा क्षेत्र की वृद्धि की गतिविधि में जून महीने में कमी आई और लगातार तीसरे महीने नए कारोबार में कम बढ़ोतरी के मद्देनजर गतिविधियों में कम तेजी आई। जून में अपनी नीतिगत समीक्षा में आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने मुद्रास्फीतिक दबाव के मद्देनजर नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा था लेकिन संकेत दिया था यदि मानसून से मुद्रास्फीति कम करने में मदद मिलती है तो इस साल बाद में ब्याज दर में कटौती संभव है।
उद्योग को अभी भी निवेश बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद है। रोजगार के लिहाज से भारतीय सेवा प्रदाताओं ने जून में कर्मचारियों की भर्ती के स्तर में थोड़ी बढ़ोतरी का संकेत मिला। इस बीच विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों का आकलन करने वाला निक्केइ इंडिया मिश्रित पीएमआई उत्पादन सूचकांक जून में बढ़कर 51.1 पर पहुंच गया जो मई में 50.9 पर था लेकिन यह लंबे समय के औसत से कमतर रहा और इससे इसमें धीमी वृद्धि का संकेत मिलता है। लीमा ने कहा, विनिर्माण क्षेत्रा हालांकि जून में बेहतर स्थिति में रहा लेकिन नए आर्डर, रोजगार और उत्पादन का स्तर पिछले लंबे समय के औसत से कमतर रहा। उन्होंने कहा, भारत का प्रदर्शन ऐसे समय में उभरते बाजारों में उल्लेखनीय रहा जबकि इसके अन्य समकक्ष देश संघर्ष कर रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2015-16 की चौथी तिमाही में 7.9 प्रतिशत रही जिससे उक्त वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की कुल वृद्धि दर पांच साल के उच्चतम स्तर 7.6 प्रतिशत पर रही।