इसमें भारत की अगुवाई में 121 देश हैं। इसका मकसद दुनिया भर में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने में सहयोग करना है। साथ ही इसका लक्ष्य 2030 तक निवेश के लिये 1,000 अरब डालर की राशि जुटाना है। समझौते पर हस्ताक्षर के समय वित्त मंत्री अरूण जेटली, बिजली मंत्री पीयूष गोयल तथा भारत यात्रा पर आये विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम उपस्थित थे। इस समझौते से बहुपक्षीय एजेंसी आईएसए के लिये एक वित्तीय सहयोगी के तौर पर स्थापित होगी।
विश्व बैंक के बयान के अनुसार बैंक ने यह भी घोषणा की कि उसकी भारत के महत्वाकांक्षी सौर पहल को समर्थन देने के लिये उत्पादन में निवेश के जरिए एक अरब डालर से अधिक की राशि उपलब्ध कराने की योजना है। विश्व बैंक समर्थित परियोजनाओं में सौर रूफ टॉप प्रौद्योगिकी, सौर पार्क के लिये बुनियादी ढांचा, बाजार में नई सौर एवं हाइब्रिड प्रौद्योगिकी लाना तथा सौर ऊर्जा अनुकूल राज्यों के लिये पारेषण लाइन बिछाना शामिल है। केंद्र सरकार तथा बैंक ने 62.5 करोड़ डालर की ग्रिड से जुड़े रूफ टॉप सौर कार्यक्रम के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये।
बयान के मुताबिक सौर पार्क परियोजनाओं के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत 20 करोड़ डालर से साझा बुनियादी ढांचा के विकास का काम चल रहा है। किम ने उम्मीद जतायी कि आईएसए के साथ समझौते पर हस्ताक्षर से पर्यावरण के अनुकूल भविष्य की ओर वैश्विक कदम बढ़ाने में मदद मिलेगी।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    