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बढ़ती महंगाई को लेकर निर्मला सीतारमण दे दिया भरोसा, कहा- सरकार आम आदमी के लिए कर रही है काम

लोकसभा में आज देश की अर्थव्यवस्था पर जोरदार बहस हुई। बढ़ती महंगाई को लेकर आज वित्त मंत्री निर्मला...
बढ़ती महंगाई को लेकर निर्मला सीतारमण दे दिया भरोसा, कहा- सरकार आम आदमी के लिए कर रही है काम

लोकसभा में आज देश की अर्थव्यवस्था पर जोरदार बहस हुई। बढ़ती महंगाई को लेकर आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में भरोसा दिलाया कि महंगाई को और नीचे लाने के लिए सरकार आम आदमी के लिए काम करेगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार पेट्रोल पर 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की है, जिसके चलते खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा आरबीआई के टोलरेंस लेवल के भीतर आ गया है।

सदन में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के कई सवालों का जवाब भी दिया। सीतारमण ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है लेकिन विपक्ष में ऐसे ‘‘लोग’’ हैं जो सिर्फ ‘‘ईर्ष्या’’ के कारण देश की प्रगति पर सवाल उठाते रहते हैं। 

मंत्री की टिप्पणी प्रश्नकाल के दौरान आई जब तेलंगाना से कांग्रेस सदस्य ए रेवंत रेड्डी ने डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्यह्रास का मुद्दा उठाया और सरकार से जानना चाहा कि क्या उसके पास स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोई कार्य योजना है।

सीतारमण ने कहा कि अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से तब आईसीयू में थी। लेकिन महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत आज सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने कहा, "यह गर्व की बात है। लेकिन वे इसका मजाक उड़ा रहे हैं।" वित्त मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा, "यह दुख की बात है कि जब हमारी अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है तो वे ईर्ष्या से ऐसी बातें करते हैं... आज ये लोग भारतीय अर्थव्यवस्था के खिलाफ खड़े हैं।" उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय रुपया "हर मुद्रा" के मुकाबले मजबूत रहा है।

बता दें कि ताजा आंकड़ों के अनुसार, खाद्य, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण नवंबर में थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति 21 महीने के निचले स्तर 5.85 प्रतिशत पर आ गई।  WPI (थोक मूल्य सूचकांक) आधारित मुद्रास्फीति मई से गिरावट की प्रवृत्ति पर रही है और अक्टूबर में 8.39 प्रतिशत पर एकल अंक में आ गई।

विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले साल के उच्च आधार और खाद्य कीमतों में कुछ सहजता ने भी नवंबर 2022 के थोक मूल्य सूचकांक के पक्ष में काम किया, जो फरवरी 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया, जब यह 4.83 प्रतिशत था।

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