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वित्त मंत्री ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, भारत की अर्थव्यवस्था 6.3-6.8% की दर से बढ़ने की उम्मीद

  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार, 31 जनवरी 2025 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश किया।...
वित्त मंत्री ने पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, भारत की अर्थव्यवस्था 6.3-6.8% की दर से बढ़ने की उम्मीद

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार, 31 जनवरी 2025 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश किया। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने की संभावना है। यह सर्वेक्षण पिछले आर्थिक सर्वेक्षण (2022-23) के केवल छह महीने बाद पेश किया गया है, जिसे 22 जुलाई 2024 को आम चुनाव के बाद प्रस्तुत किया गया था।

आर्थिक सर्वेक्षण क्या है?

आर्थिक सर्वेक्षण भारत की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, सरकारी नीतियों और आगामी वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक दृष्टिकोण का संकलन है। इसे आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार किया जाता है, जिसकी अगुवाई मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन करते हैं। यह दो भागों में विभाजित होता है—

भाग A: इसमें आर्थिक प्रदर्शन, मैक्रोइकॉनॉमिक संकेतकों और वित्तीय प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया जाता है।

भाग B: इसमें सामाजिक-आर्थिक मुद्दों जैसे शिक्षा, गरीबी, जलवायु परिवर्तन, जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति और व्यापार का मूल्यांकन किया जाता है।

 

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 की 5 प्रमुख बातें

1. भारतीय अर्थव्यवस्था बनी रहेगी स्थिर

वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4% रहने का अनुमान है। सर्वेक्षण के अनुसार, "कुल आपूर्ति के दृष्टिकोण से, वास्तविक सकल मूल्य वर्धित (GVA) में भी 6.4% की वृद्धि होने की संभावना है।"

2. सभी सेक्टर देंगे अर्थव्यवस्था को मजबूती

सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत के सभी सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र अपनी मजबूत स्थिति बनाए हुए है और औद्योगिक क्षेत्र ने भी महामारी पूर्व स्तर को पार कर लिया है। वहीं, सेवा क्षेत्र भी तेजी से अपने ट्रेंड स्तर तक पहुंच रहा है।

3. मुद्रास्फीति (महंगाई) पर काबू पाया जा रहा है

सर्वेक्षण के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा महंगाई दर 5.4% थी, जो 2024-25 के अप्रैल-दिसंबर अवधि में घटकर 4.9% रह गई।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (CPI) धीरे-धीरे घटकर वित्त वर्ष 2025-26 तक 4% के लक्ष्य के करीब आ सकती है।

4. बैंकिंग और बीमा क्षेत्र मजबूत स्थिति में

वाणिज्यिक बैंकों के सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (GNPA) अनुपात में लगातार गिरावट आई है। यह वित्त वर्ष 2017-18 में अपने उच्चतम स्तर पर था, लेकिन सितंबर 2024 तक घटकर 2.6% रह गया।

इसके अलावा, बैंक क्रेडिट-टू-जीडीपी गैप पहली तिमाही में -10.3% से घटकर 0.3% पर आ गया है, जो इंगित करता है कि बैंक क्रेडिट का हालिया विस्तार टिकाऊ है।

बीमा क्षेत्र की बात करें तो, 2023-24 में बीमा प्रीमियम 7.7% बढ़कर ₹11.2 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जबकि पेंशन योजनाओं के कुल ग्राहकों की संख्या सितंबर 2024 तक सालाना 16% की दर से बढ़ी।

5. एमएसएमई सेक्टर को बड़े उद्योगों से ज्यादा कर्ज

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को दिए गए बैंक ऋण की वृद्धि दर बड़े उद्योगों की तुलना में अधिक रही। नवंबर 2024 के अंत तक, एमएसएमई को दिए गए ऋण में 13% की सालाना वृद्धि दर्ज की गई, जबकि बड़े उद्यमों के लिए यह वृद्धि 6.1% रही।

निष्कर्ष

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। जहां एक ओर वैश्विक परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर गति से आगे बढ़ रही है। कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में मजबूती, महंगाई में कमी और बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता भारत की विकास यात्रा को और मजबूत कर सकती है।

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