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भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के लिए वित्तीय बाजारों की केंद्रीय भूमिका: आरबीआई गवर्नर

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बाली में आयोजित 24वें एफआइएमएमडीए-पीडीएआइ वार्षिक सम्मेलन को संबोधित...
भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के लिए वित्तीय बाजारों की केंद्रीय भूमिका: आरबीआई गवर्नर

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बाली में आयोजित 24वें एफआइएमएमडीए-पीडीएआइ वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया। अपने संबोधन में गवर्नर ने कहा कि भारत की आर्थिक आकांक्षाओं को साकार करने में वित्तीय बाजारों को केंद्रीय भूमिका निभानी होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक मजबूत और लचीला वित्तीय तंत्र देश के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। विशेष रूप से तब जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है।

गवर्नर ने वित्तीय बाजारों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि ये बाजार पूंजी आवंटन, जोखिम प्रबंधन और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हैं। भारत जैसे उभरते अर्थव्यवस्था वाले देश में जहां बुनियादी ढांचा विकास, डिजिटल परिवर्तन और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश की आवश्यकता है। ऐसे में वित्तीय बाजार नवाचार और पूंजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि बॉन्ड बाजार, इक्विटी बाजार और डेरिवेटिव्स जैसे उपकरणों को और अधिक गहरा करने की जरूरत है ताकि दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा मिले।

उन्होंने वित्तीय समावेशन पर भी जोर दिया, जिसे भारत की आबादी के बड़े हिस्से को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ने का आधार बताया। डिजिटल भुगतान प्रणालियों, जैसे यूपीआई, और सूक्ष्म-वित्त संस्थानों की सफलता का उल्लेख करते हुए गवर्नर ने कहा कि प्रौद्योगिकी और वित्तीय बाजारों का तालमेल ग्रामीण और शहरी भारत के बीच की खाई को पाट सकता है। हालांकि, उन्होंने साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता जैसे उभरते जोखिमों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नियामक ढांचे को और मजबूत करने की बात कही, ताकि निवेशकों का भरोसा बना रहे और बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित हो। उन्होंने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच स्थानीय बाजारों को स्थिर रखने के लिए आरबीआई की प्रतिबद्धता दोहराई। इसके अलावा, उन्होंने स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के लिए पूंजी तक पहुंच को आसान बनाने के लिए नए वित्तीय साधनों के विकास का आह्वान किया।

अंत में, गवर्नर ने यह स्पष्ट किया कि भारत की आकांक्षाएं केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसमें सामाजिक समावेशन, पर्यावरणीय स्थिरता और वैश्विक नेतृत्व भी शामिल हैं। वित्तीय बाजारों को इन लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए नवाचार, समावेशिता और स्थिरता के सिद्धांतों पर काम करना होगा।

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