इंटरनैशनल वॉचडॉग ग्लोबल फाइनैंशल इन्टेग्रिटी (जीएफआई) पहली बार इस रिपोर्ट में ब्लैकमनी के आवक की भी जानकारी दी है। वर्ष 2014 में भारत में 6.47 लाख करोड़ रुपये का कालाधन आया जो कि बीते वर्ष की तुलना में 11 फीसदी ज्यादा था। साथ ही इसमें सोने के एक्सपोर्ट पर स्विस डेटा को भी शामिल किया गया है। पहले इस डेटा को शामिल नहीं किया जाता था।
रिपोर्ट लिखने वालों में से एक इकॉनमिस्ट जोसेफ ने कहा, 'चूंकि बड़ी मात्रा में स्विटजरलैंड से भारत में सोने का आयात होता है इसलिए इस डेटा में आए बदलाव का गहन अध्ययन किया गया जिससे पता चला है कि दोनों देशों के आपसी व्यापार में काफी अंतर आया है। उन्होंने इस प्रक्रिया में सहयोग के लिए भारत के डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस और स्विटजरलैंड के डायरेक्टर जनरल ऑफ कस्टम का शुक्रिया अदा किया।
व्यापार की आड़ में कालेधन का लेनदेन
रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में विकासशील देशों से 39.76 करोड़ रुपये से लेकर 62.21 करोड़ रुपये बाहर गए हैं। यह पैसा व्यापारिक धोखाधड़ी के माध्यम से देशों से बाहर गए है। कालेधन की आवक लगभग 89789 अरब रुपये से 160337 अरब रुपये रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 87 फीसदी देशों कालेधन का लेनदेन व्यापार की आड़ में होता है। बताया जाता है कि अगर आप देश से बाहर पैसा भेजना चाहते हैं तो आप विदेश से कुछ सामान मंगाते हैं इस सामान के लिए आपको भारी रकम चुकानी होती है। विदेश में बैठे अपने साथी को चुकाई गई इस रकम से अतिरिक्त पैसा आपके नाम से रख लिया जाता है। इसी प्रक्रिया से पैसा विदेश से यहां मंगाया जाता है। इस तरह से पैसा इधर-उधर करने के लिए टैक्स नहीं देना होता है।
जीएफआई ने इंटरनैशनल ट्रेड ऐंड बैलेंस ऑफ पेमेंट्स के आंकड़े जुटाने और उनका विश्लेषण करने के लिए पिछले साल के मुकाबले कड़े मानकों का पालन किया है। डायरेक्शन ऑफ ट्रेड पर आईएमएफ के ग्लोबल डेटा और रिपोर्टों के अलावा जीएफआई ने कई अन्य स्त्रोतों से जानकारी इकट्ठा कर उसका अध्ययन किया है।