देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें भले 27 फरवरी से ना बदली हों। लेकिन ये अभी भी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर हैं। हालाकि चुनावी माहौल में एक तरफ ये सरकार के लिए राहत की बात है। सोमवार को लोकसभा में सरकार ने माना कि पेट्रोल-डीजल से उसकी अच्छी खासी कमाई हो रही है।
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने माना कि 6 मई 2020 के बाद से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क, उपकर और अधिभार से क्रमश: 33 रुपये और 32 रुपये प्रति लीटर की कमाई हो रही है जबकि मार्च 2020 से 5 मई 2020 के बीच उसकी ये आय क्रमशः 23 रुपये और 19 रुपये प्रति लीटर थी।
सरकार ने कहा कि 1 जनवरी से 13 मार्च 2020 के बीच सरकार की पेट्रोल से प्रति लीटर 20 रुपये और डीजल से 16 रुपये की कमाई हो रही थी। दिसंबर 2020 की तुलना में सरकार की पेट्रोल से कमाई 13 रुपये और डीजल से 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ी है।
विपक्ष सरकार से सवाल करता रहा है कि देश में चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बीच पेट्रोल औरी डीजल की कीमतें स्थिर कैसे हैं, जबकि बाजार इनकी कीमत तय करता है। इस पर लोकसभा में सरकार की ओर से चुप्पी देखी गई।
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि अन्य देशों की तुलना में देश के भीतर ईंधन की ऊंची-नीची कीमतें कई कारणों पर निर्भर करती हैं। इसमें अन्य देशों की सरकारों द्वारा दी जाने वाली रियायतें भी शामिल होती हैं। सरकार इनका रिकॉर्ड नहीं रखती। अनुराग सिंह ठाकुर ने ईंधन पर ऊंचे उत्पाद शुल्क सही ठहराया। उन्होंने लोकसभा का सूचित किया कि मौजूदा राजकोषीय स्थिति को देखते हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य विकास कार्यों पर खर्च के लिए संसाधन जुटाने हैं। इसलिए पेट्रोल और डीजल पर इस तरह से उत्पाद शुल्क तय किया गया है।
वहीं, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों कच्चा तेल, पेट्रोल- डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस को अभी GST के दायरे में लाने की कोई योजना नहीं है।