केंद्र सरकार ने 8 अगस्त 2025 को संसद में पेश इनकम टैक्स बिल, 2025 को वापस लेकर संशोधित ड्राफ्ट लाने का फैसला किया है। यह बिल पहली बार 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य 1961 के पुराने टैक्स कानून को खत्म कर एक आधुनिक, सरल और करदाता-केंद्रित प्रणाली लागू करना था।
बिल को वापस लेने के पीछे मुख्य वजह संसदीय चयन समिति की 285 से अधिक सिफारिशें हैं, जिसमें कई तकनीकी खामियों, अस्पष्ट प्रावधानों और व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर करने की बात कही गई। समिति के चेयरमैन बैजयंत पांडा ने बताया कि इसमें रिटर्न की देय तिथि पार होने पर रिफंड न देने वाली धारा को हटाने, सेक्शन 87A के तहत रिबेट सीमा ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख तक करने, नॉन-प्रॉफिट संस्थाओं को अज्ञात दान पर छूट देने, घर की आय और सालाना मूल्य निर्धारण से जुड़े प्रावधानों में स्पष्टता लाने जैसे सुझाव शामिल हैं।
समिति ने यह भी साफ किया कि बिल में टैक्स अधिकारियों को कोई नया सर्च या जब्ती का अधिकार नहीं दिया गया है, बल्कि प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने पर जोर है। संशोधित ड्राफ्ट में मध्यमवर्ग और एमएसएमई के लिए बचत बढ़ाने, विवाद समाधान को सरल करने और टैक्स ढांचे को अधिक तार्किक बनाने के प्रावधान होंगे।
सरकार ने घोषणा की है कि यह नया ड्राफ्ट 11 अगस्त को संसद में पेश किया जाएगा, जिसमें सभी सुधार और सुझाव शामिल होंगे। कुल मिलाकर यह कदम करदाताओं के लिए एक सरल, स्पष्ट और अनुकूल टैक्स व्यवस्था लाने की दिशा में है, जो पुरानी तकनीकी गलतियों को दूर करने के साथ-साथ रिबेट और छूट का दायरा भी बढ़ाएगा।