वर्ष 1992 में इस प्रतिभूति घोटाले से बीएसई और अन्य स्टॉक एक्सचेंज हलकान हो गये थे। इस घोटाले का सरगना 2001 में चल बसा।
विशेष न्यायाधीश एचएस महाजन ने एमएस श्रीनिवासन (स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र के पूर्व फंड प्रबंधक), विनायक देवस्थलि (यूको बैंक के पूर्व सहायक प्रबंधक), आर सीतारमण (एसबीआई की प्रतिभूति शाखा के अधिकारी) और पीके कारखानिस (यूको बैंक के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक) को दोषी ठहराया।
इन चारों अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, विश्वास तोड़ने, खाते-बही में फर्जीवाड़े और अंतत: मृतक (अब) स्टॉक दलाल को फायदा पहुंचाने का आरोप था। अदालत ने उन पर 5000-5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। हालांकि मुजरिम ठहराने के बाद अदालत ने उन्हें जमानत दे दी ताकि वे ऊपरी अदालत में अपील दायर कर सकें।
भाषा