कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को आम बजट को अब तक का सबसे पूंजीवादी बजट बताया। उन्होंने कहा कि पूरे बजट भाषणा के दौरान केवल दो बार ही 'गरीब' शब्द बोला गया। आज का बजट भाषण किसी भी वित्त मंत्री की ओर से पढ़ा गया अब तक सबसे ज्यादा पूंजीवादी भाषण था। उन्होंने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौतियों से निपटने में विफल है।।
चिदंबरम ने बजट में दिए गए आंकड़ों और अर्थव्यवस्था की स्थिति, बेरोजगारी तथा कृषि की स्थिति से जुड़े आंकड़े रखते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने हर मुख्य योजना से जुड़ी सब्सिडी में कटौती की है। सरकार इसे बहुमत के बल पर संसद में भले ही पारित करा ले, लेकिन जनता इसे खारिज कर देगी।
चिदंबरम ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी तक 2019-20 के महामारी से पहले के स्तर तक नहीं पहुंच पाई है। पिछले दो वर्षों में लाखों नौकरियां चली गई हैं, कुछ शायद हमेशा के लिए। लगभग 60 लाख एमएसएमई बंद हुए हैं। कोरोना की महामारी के दो वर्षों में 84 फीसदी परिवारों की आय को नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय 2019-20 में 1,08,645 रुपये थी जो 2021-22 में घटकर 1,07,801 रुपये रह गई या उससे भी कम। प्रति व्यक्ति व्यय 2019-20 में 62,056 रुपये थी जो 2021-22 में घटकर 59,043 रुपये रह गई है। एक अनुमान के अनुसार, 4.6 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में चले गए हैं। स्कूली खासतौर से ग्रामीण भारत और सरकारी स्कूलों में एनरोल बच्चों में सीखने की भारी कमी आई है। बच्चों में कुपोषण, स्टंटिंग और वेस्टिंग में बढ़ोतरी हुई है और भारत की रैंक ग्लोबल हंगर इंडेक्स में गिरी है, यह 101 (116 देशों में से) स्थान तक पहुंच गया है।