भारत में साल 2016 से साल 2018 के बीच लगभग 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरी गंवा दी। साल 2016 वही साल है जब मोदी सरकार ने देश में नोटबंदी की घोषणा की थी और 1000-500 के नोट बंद कर दिए थे। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी (बेंगलुरू) की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, बेंगलुरु स्थित अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट (सीएसई) द्वारा मंगलवार को जारी ‘स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2019' रिपोर्ट में यह कहा गया है कि साल 2016 से 2018 के बीच लगभग 50 लाख लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नोटबंदी के ऐलान किए जाने के आसपास ही नौकरी की कमी शुरू हुई, लेकिन उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर इन दोनों के बीच संबंध पूरी तरह से स्थापित नहीं किया जा सकता है। यानी रिपोर्ट में यह स्पष्ट तौर पर बेरोजगारी और नोटबंदी में संबंध नहीं दर्शाया गया है।
2011 के बाद बेरोजगारी दर में उछाल
रिपोर्ट के अनुसार, 2011 के बाद से कुल बेरोजगारी दर में भारी वृद्धि हुई है। 2018 में जहां बेरोजगारी दर 6 फीसदी थी। यह 2000-2011 के मुकाबले दोगुनी है।
युवा हुए शिकार, महिलाएं ज्यादा प्रभावित
रिपोर्ट में नोटबंदी से भविष्य में भी नौकरी का संकट होने की बात कही गई है। साथ ही दावा किया गया है कि अब तक नोटबंदी के बाद बने हालात सुधरे नहीं है। वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि 20-24 आयु वर्ग में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है और नोटबंदी से पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा प्रभावित हुई हैं। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों में बेरोजगारी और श्रम भागीदारी दर बहुत अधिक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में बेरोजगार अधिकतर उच्च शिक्षित और युवा हैं। शहरी महिलाओं में कामगार जनसंख्या में 10 फीसदी ही स्नातक हैं, जबकि 34 फीसदी बेरोजगार हैं। बेरोजगारों में 20 से 24 साल की संख्या सबसे ज्यादा है।
कम शिक्षित श्रमिकों को भी भारी नुकसान
नोटबंदी के सबसे गहरा प्रभाव असंगठित क्षेत्र पर पड़ा है। जीएसटी लागू होने के बाद से इस सेक्टर का और भी बुरा हाल है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च शिक्षितों के बीच बढ़ती खुली बेरोजगारी के अलावा, कम शिक्षित श्रमिकों को भी 2016 के बाद से नौकरी और काम के अवसरों की कमी झेलनी पड़ी है।
कब हुई थी नोटबंदी
8 नवंबर 2016 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब रात 8 दूरदर्शन पर ऐलान कर दिया की आज से 500 और 1000 रुपये के नोट नहीं चलेंगे। इन नोटों को गैरकानूनी घोषित कर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा था, ‘भाइयो-बहनो! देश को भ्रष्टाचार और कालेधन से देश को मुक्त कराने के लिए एक और सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया है। आज मध्यरात्रि यानी 8 नवंबर 2016 की रात्रि को 12 बजे से देश में चल रहे 500 रुपए 1000 रुपए के करंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे।”