केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि फार्मल सेक्टर में काम करने वाले छोटे-छोटे कर्मचारी जिनकी नौकरी कोरोना महामारी में चली गई थी उन्हें वापस नौकरी पर लिए जाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा ईपीएफ की पूरी धनराशि जमा किए जाने की योजना को अब 2022 तक बढ़ा दिया गया है। इसका लाभ उन्हीं इकाइयों के कर्मचारियों को मिलेगा जो ईपीएफओ में पंजीकृत हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार उन लोगों के लिए 2022 तक नियोक्ता के साथ-साथ कर्मचारी के पीएफ हिस्से का भुगतान करेगी, जिन्होंने अपनी नौकरी खो दीं, लेकिन उन्हें औपचारिक क्षेत्र में छोटे पैमाने की नौकरियों में काम करने के लिए फिर से बुलाया गया है। इन इकाइयों का ईपीएफओ में पंजीकरण होने पर ही कर्मचारियों को यह सुविधा दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि यदि किसी जिले में औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले 25 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूर अपने मूल शहर लौटे हैं तो उन्हें केंद्र सरकार की 16 योजनाओं में रोजगार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण 2020 में मनरेगा का बजट 60000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि देश की इकॉनमी की रीढ़ यानी सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को दशकों तक जो स्थान नहीं मिला, इस सरकार ने दिलाया है। मोदी सरकार ने एमएसएमई को उसकी वाजिब पहचान दी है। इस क्षेत्र को दशकों तक जो स्थान नहीं मिला वह अब उसे दिलाया जा रहा है और आगे भी इसे और बेहतर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों को देखें तो केंद्र सरकार ने काफी अलग चीजें की हैं। सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा को बहुत लचीले तरीके से बदला है।