मोरपेन लेबोरेट्रीज लिमिटेड को हिमाचल प्रदेश के उसके दोनों बल्क ड्रग्स मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स के लिए यूएस एफडीए (यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) की मंजूरी मिल गई है। इस मंजूरी के बाद कंपनी एटोरवास्टेटिन कैल्सियम और मोंटेलुकास्ट सोडियम नामक दवाओं को अमेरिकी बाजार में निर्यात कर सकेगी। एटोरवास्टेटिन कैल्सियम बनाने का प्लांट बद्दी में हैं और इस दवा का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल कम करने में होता है, जबकि मसूलखाना प्लांट में अस्थमा की दवा मोंटेलुकास्ट सोडियम बनाई जाती है।
अमेरिका में इन दोनों दवाओं का बाजार 5,000 करोड़ रुपये और 2,000 करोड़ रुपये का है। यह दोनों एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकिल इनग्रेडिएंट्स या दवाएं) कंपनी की टॉपलाइन में करीब 150 करोड़ रुपये के सालाना राजस्व का संयुक्त रूप से योगदान देते हैं। 1999 में पहली बार मोरपेन लैब्स के मसूलखाना प्लांट को “लोराटाडीन” दवा के लिए यूएसएफडीए की स्वीकृति मिली, जबकि “डेस्लोराटाडीन” के लिए 2011 में मंजूरी मिली। “मोंटेलुकास्ट” तीसरी दवा है, जिसके लिए इस प्लांट में यूएस एफडीआई से मंजूरी मिली है।
मोरपेन लेबोरेट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुशील सूरी का कहना है कि यह मंजूरी मिलने के साथ ही इतिहास ने खुद को दोहराया है। अमेरिकी नियामक ने मंजूरी देते समय कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की।
मोरपेन लैब्स को सबसे पहले दिसंबर 2017 में उपभोक्ताओं के एएनडीए के आधार पर मोंटेलुकास्ट सोडियम के निर्माण की मंजूरी मिली, जिसके बाद 2018 में मसूलखाना प्लांट का निरीक्षण किया गया। मोरपैन लेबोरेट्रीज लिमिटेड 34 साल पुरानी और 600 करोड़ रुपये बिक्री वाली फार्मास्युटिकल तथा हेल्थ केयर प्रॉडक्ट्स बनाने वाली कंपनी है।